हिंदुस्तान के करोड़ों सिखों के लिए श्रद्धा के अहम केंद्र श्री करतारपुर साहिब तक पहुंचना शनिवार 9 नवंबर से आसान होने वाला है. भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने आपसी रिश्तों को एक तरफ रखते हुए सिख श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए एक खास कॉरिडोर बनाया. लेकिन 7 दशकों से चले आ रहे रिश्तों में फासले 7 किलोमीटर के इस दायरे से घट पाएंगे?
शनिवार को 7 किलोमीटर लंबे करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होने रहा है. इस ऐतिहासिक लम्हे का गवाह बनने और लोगों तक इसकी रिपोर्ट पहुंचाने के लिए क्विंट हिंदी जा रहा है करतारपुर. क्विंट हिंदी आपको सरहद के उस पार इस ऐतिहासिक लम्हे से जुड़े माहौल और वहां के लोगों की राय भी बताएगा.
12 नवंबर को गुरु नानक देव की 550वां प्रकाश पर्व यानी जयंती है. इसलिए उससे 2 दिन पहले 9 नवंबर को इसका उद्घाटन किया हो रहा है. पाकिस्तान की ओर से वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान इसका उद्घाटन करेंगे, जबकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक के पास बने शानदार पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन करेंगे.
इस मौके पर पूर्व डॉ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले सिख जत्थे का हिस्सा हैं, जो शनिवार को करतारपुर जाएगा. भारत में इस कॉरिडोर का हिस्सा 3 किलोमीटर का है जबकि पाकिस्तान में 4 किलोमीटर.
लेकिन क्या है इस केंद्र की इतनी अहमियत, जो इसको इतना ऐतिहासिक बनाता है और इसको लेकर इतनी मशक्कतें हुईं?
सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक देव जी ने पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब गुरुद्वारे में जिंदगी के आखिरी 18 साल बिताए थे. यहीं उन्होंने सिख अनुयायियों को इकट्ठा किया था. इसलिए सिख धर्म में इसकी बेहद अहमियत है.
यही कारण है कि आतंकवाद और सीजफायर उल्लंघन को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच लंबी दुश्मनी के बीच करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन को दोनों देशों के रिश्तों के लिए सकारात्मक माना जा रहा है.
इसलिए करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन ऐतिहासिक लम्हा है. ये न सिर्फ धार्मिक रूप से बेहद खास है, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों में मौजूदा हालातों को लेकर कूटनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है.
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