'हमारी मांग मान ली गई है, समझौता हो गया है' ये कहना घोड़ी पर चढ़कर ही शादी करने की जिद पर अड़े संजय जाटव का है. दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले संजय अपनी मांग के लिए लगातार कोशिशें कर रहे थे. अब जिला प्रशासन 'ऊंची जाति' के लोगों से मिलकर बकायदा रोडमैप तैयार कर चुका है. संजय का कहना है कि दोनों समुदायों के बीच समझौता हो गया है और अब बारात धूमधाम से निकलेगी.
लेकिन संजय की शादी में एक नया ट्विस्ट आ गया है. लड़की के नाबालिग होने की खबर आने के बाद अब शादी 20 अप्रैल को नहीं होगी. लड़की 17 साल 10 महीने की है. ऐसे में अब उसके 18 साल के होने के बाद ही संजय घोड़ी पर चढ़ पाएंगे.
26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा को लेकर चर्चा में आया कासगंज जिला इन दिनों दलित दूल्हे संजय की शादी को लेकर भी खूब चर्चा में है. मामला ये है कि कासगंज का निजामपुर में जहां ऊंची जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है. बताया जाता है कि यहां किसी भी दलित दूल्हे को बारात में घोड़ी पर चढ़ने की इजाजत नही है.
घोड़ी पर चढ़ने के लिये अड़ा संजय जाटव
संजय कुमार जाटव हाथरस के हसायां ब्लॉक के रहने वाले हैं. उनकी सगाई इसी साल फरवरी में कासगंज के निजामपुर की रहने वाली शीतल कुमारी से हुई थी. शादी के लिये बैंड-बाजे का इंतजाम किया गया तो संजय को पता चला कि गांव में दबंग ठाकुर किसी दलित को घोड़ी नहीं चढ़ने देते.
संजय जिले के आला अधिकारियों से लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम तक से अपनी गुहार लगाई. संजय का कहना है कि उसे उसकी शादी में बारात ले जाने की अनुमति मिले और पुलिस प्रशासन उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले.
सुलह के नाम पर रोडमैप
प्रशासन की दखलंदाजी के बाद दोनों पक्षों के बीच सुलह तो हुई है लेकिन यहां भी दबंगई का असर साफ दिख रहा है. बारात निकालने के रोड मैप के साथ कुछ नियम और शर्तें भी बनाई गई हैं. इस समझौते के बाद दलित युवक की बारात का जनवासा गांव के बाहर कुतुबपुर जाने वाले मुख्यमार्ग पर धर्मवीर के खेत में रहेगा.
बारात जनवासा से प्रस्थान कर कुतुबपुर-निजामपुर रोड से गांव के तिराहे से होते हुए प्राइमरी पाठशाला के सामने से, महेश चौहान के घर से सामने से, सरेंद्र चौहान के घर पास पश्चिम दिशा में सत्यपाल के घर तक जाएगी.
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