हर चुनाव में बीजेपी वादा करती रही है कि वो आर्टिकल 370 को कश्मीर से हटाएगी. लेकिन इसपर कोई खास काम नहीं हुआ. मोदी 2.0 सरकार बनने और अमित शाह के गृह मंत्री पद संभालने के बाद इसपर हलचल तेज हुई. फिर पिछले 10 दिन में एजेंडा मिशन मोड में आ गया. ये एक टॉप सीक्रेट मिशन था. 5 अगस्त को राज्यसभा में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के ऐलान से चंद मिनट पहले तक किसी को पता नहीं था कि क्या होने वाला है?
27 जुलाई को अचानक खबर आती है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त 10 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी है. इस खबर के बाद से ही जम्मू-कश्मीर की सियासत और केंद्र में हलचल तेज हो गई. महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला पूछने लगे कि केंद्र सरकार अब किस नए फैसले की तैयारी में हैं. अब्दुल्ला ने सरकार से सफाई मांगी कि कम से कम स्थिति तो साफ हो जानी चाहिए. केंद्र सरकार ने इन सभी सवालों को कोई तवज्जो नहीं दिया, क्योंकि गृह मंत्री तो इसकी तैयारी 1 जून को पद संभालते ही कर चुके थे.
अब फ्लैशबैक में चलते हैं...
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के हटने की पूरी प्रक्रिया तो 27 जुलाई से 5 अगस्त के बीच ही चली. लेकिन पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी. नरेंद्र मोदी की ये तस्वीर देखिए, वो उस वक्त देश के प्रधानमंत्री नहीं थे, लेकिन 370 को हटाने का एजेंडा उनका पुराना था. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही आर्टिकल-370 उनके एजेंडे पर था. पहले कार्यकाल में ये पूरा न हो सका, तो दूसरे कार्यकाल के लिए मैनिफेस्टो में लिखा था,
हम आर्टिकल 35A को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारा मानना है कि आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर के गैर-स्थायी निवासियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण है.
रही सही कसर अमित शाह को गृह मंत्री बनाकर पूरी कर दी गई. 1 जून को अमित शाह ने गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. इसके ठीक तीन दिन बाद यानी 4 जून को अमित शाह ने गृह सचिव राजीव गौबा, एडिशनल सचिव (कश्मीर) ज्ञानेश कुमार समेत कई अफसरों के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग के दौरान कश्मीर के कई मुद्दों पर चर्चा हुई.
इसके ठीक दो दिन बाद, यानी 6 जून को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह सचिव राजीव गौबा के साथ एक बैठक की. यानी 6 दिन के भीतर 2 बैठक. 3 जुलाई को राज्य में छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाकर भी ये तय किया गया कि मोदी-शाह ने जम्मू-कश्मीर के लिए कुछ सोच रखा है.
27 जुलाई से 5 अगस्त...
27 जुलाई को अतिरिक्त जवानों के तैनाती की खबर आते ही खलबली मची. आर्टिकल-35A, आर्टिकल-370 के हटाए जाने की आहट सुनी जाने लगी. 1 अगस्त को 28 हजार और जवानों को राज्य में तैनात कर दिया गया. अगले ही दिन यानी 2 अगस्त को खबर आती है कि आतंकी हमले की आशंका के चलते अमरनाथ यात्रियों को तुरंत वापस लौट जाने का निर्देश दिया गया है. टूरिस्ट कश्मीर छोड़ने लगे, होटलों को खाली कराया जाने लगा. इस हड़बड़ी की गड़बड़ी को समझते हुए महबूबा-अब्दुल्ला जैसे नेता पूछने लगे कि आखिर चल क्या रहा है.
खुद राज्यपाल सतपाल सिंह भी कहने लगे कि उन्हें किसी भी तरह की कोई जानकारी ही नहीं है, न तो पीएम या राष्ट्रपति ने उनसे कुछ कहा है. 3 अगस्त को भी 6200 से ज्यादा टूरिस्टों को घाटी से बाहर निकाला गया. 4 अगस्त को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन को नजरबंद कर लिया गया. फिर आया 5 अगस्त, गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला किया, जिसे राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई है.
इससे कश्मीर में ये सब बदल जाएगा-
- आर्टिकल 370 हटाने का संकल्प, सिर्फ खंड एक लागू रहेगा
- जम्मू-कश्मीर के दो टुकडे़ होंगे
- लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा
- जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा
आर्टिकल-370 पर ‘चोट’ की टाइम लाइन
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