घाटी में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अब खासतौर से दक्षिण कश्मीर में बाहरी लोगों की और हत्याएं करने की साजिश रच रहे हैं. श्रीनगर में शीर्ष खुफिया सूत्रों ने खुलासा किया है इस्लामाबाद का नया मकसद अब गैर-कश्मीरियों और कश्मीरियों के बीच दूरी पैदा कर आर्टिकल 370 को समाप्त करने के उद्देश्य को विफल करना और अंत में केंद्र शासित प्रदेश में भारतीयों के प्रवेश को बंद करना है.
कॉल ट्रेस से हुआ खुलासा
पिछले एक महीने के दौरान सीमा रेखा के पास से आतंकवादियों के कई फोन कॉल ट्रेस किए गए हैं, जिससे नए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने की पाकिस्तान की भयावह साजिश का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस भयावह साजिश को पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) के शीर्ष प्रमुखों का समर्थन प्राप्त है.
घाटी में आईएसआई के इशारे पर गैर-कश्मीरियों की हत्या के उभरे नए पैटर्न से दक्षिण कश्मीर में बसे 20,000 से अधिक प्रवासी मजदूरों और कुशल श्रमिकों के सामने एक गंभीर खतरा पैदा हो गया है. सभी बाहरी मजदूर डर के साये में जी रहे हैं.
कश्मीरी पंडितों जैसे न बनें हालात
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, "यह भयावह साजिश 1990 के दशक की शुरुआत में कश्मीरी पंडितों के जातीय सफाए की याद दिलाती है, जब आईएसआई समर्थित संगठनों ने घाटी में पंडितों को निशाना बनाया था, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में एक समुदाय के लोग घाटी से पलायन कर गए थे."
खुफिया सूत्रों का आकलन है कि 500 से अधिक हथियारबंद आतंकवादी कश्मीर में छिपे हुए हैं, जिनमें 200 से अधिक प्रशिक्षित पाकिस्तानी आतंकी हैं. विदेशी कमांडरों के अधीन काम कर रहे ये आतंकी अब चार जिलों शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग में सक्रिय हैं. दक्षिण कश्मीर में ये जिले आतंक गतिविधियों के केंद्र हैं. श्रीनगर पुलिस के स्थानीय खुफिया नेटवर्क के एक सदस्य ने कहा,
“यह आईएसआई की रणनीति में हाल में आया बदलाव है, जहां अब तक स्थानीय कमांडर घाटी में सक्रिय रहे हैं, जिनका स्थान अब सीमा पार से घुसपैठ कर आए विदेशी (पाकिस्तानी) कमांडर ले रहे हैं. पाकिस्तानी कमांडर आईएसआई के आकाओं के लिए अधिक भरोसेमंद और स्थानीय कमांडरों से ज्यादा क्रूर हैं.”
तलाशी अभियान हुए तेज
पुलिस मुख्यालय में देर राज हुई एक बैठक में शोपियां, पुलवामा और कुलगाम में तलाशी अभियान तेज करने का फैसला लिया गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी ने कहा, "हमारे पास उन्हें (पाकिस्तानी आतंकवादी) ढूंढ़ कर उनका खात्मा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हमें इसके (गैर-कश्मीरियों की हत्या) एक पैटर्न का रूप अख्तियार करने और पूरी घाटी में फैलने से पहले इस काम तेजी से करना है."
सूत्रों ने कहा कि घाटी में आतंक के नए चेहरे रियाज नायकू की तलाश भी शुरू कर दी गई है. पूर्व ट्रक ड्राइवर और हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर नायकू अब जैश-ए-मोहम्मद की गोद में जा बैठा है. माना जाता है कि वह दक्षिण कश्मीर में ही है. मोबाइल फोन पर पकड़ी गई बातचीत पर आधारित खुफिया जानकारी के अनुसार उसका लोकेशन पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में पता चला है.
नायकू पर शक है कि घाटी में जैश और लश्कर के तीन दर्जन से अधिक सदस्यों को ढोकर लाने में उसकी प्रमुख भूमिका रही है. उसने हाल ही में चेतावनी दी थी कि यदि कुछ बड़ी घटना घटी, तो उसके आदमी गैर-कश्मीरी नागरिकों को निशाना बनाना शुरू करेंगे.
सूत्रों ने कहा कि घाटी में मोबाइल फोन के फिर से चालू हो जाने के बाद पुलिस को आतंकी नेटवर्क पर नई जानकारियां मिलनी शुरू हो गई हैं, क्योंकि मुखबिर वापस अपने काम पर लग गए हैं. आधुनिक समय में मैनहंट के प्रभावी औजार, फोन कॉल इंटरसेप्ट्स और फोन सर्विलांस को भी सक्रिय कर दिया गया है. आने वाले दिनों में पुलिस को उम्मीद है कि इन खास तकनीकी और मानव के जरिए प्राप्त खुफिया जानकारियों के आधार पर और भी आतंकवादियों का खात्मा किया जाएगा.
(इनपुट - आईएएनएस)
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