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जम्मू-श्रीनगर हाइवे बैन का फारुख और मुफ्ती ने किया विरोध

फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने इसे कश्मीर के लोगों को दबाने वाला फैसला बताया

Published
भारत
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सरकार ने जम्मू-श्रीनगर हाइवे को हफ्ते में दो दिन बंद रखने का फैसला लिया है. इन दो दिनों में सुरक्षाबलों के काफिले का मूवमेंट होगा. हाइवे बंद रखने का फैसला, सुरक्षाबलों की सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है.

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फैसले का कश्मीर की राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रही हैं. महबूबा मुफ्ती के मुताबिक इस फैसले के जरिए कश्मीर के लोगों को दबाया जा रहा है. वहीं फारुख अब्दुल्ला ने हाइवे बंद करने को तानाशाही करार दिया है.

14 फरवरी को इसी रोड पर पुलवामा जिले में CRPF के काफिले पर एक आत्मघाती हमला हुआ था. इसमें 40 से ज्यादा सैनिक शहीद हो गए थे.

किन इलाकों पर होगा इस फैसले का असर?

इस फैसले से कश्मीर के कई हिस्से प्रभावित होने वाले हैं. ये फैसला रविवार 7 अप्रैल से लागू हो गया है. उत्तरी कश्मीर के बारामूला, श्रीनगर, काजीकुंड, जवाहर टनल और बनिहाल से उधमपुर की ओर जाने वाले रास्ते इस फैसले से प्रभावित होंगे.

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‘‘ये गलत है, हम सरकार को बताना चाहेंगे कि वो इस तरह से कश्मीरियों को दबा नहीं सकते. ये हमारा राज्य है और ये हमारी सड़कें हैं हम जब चाहें इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. आपने देखा कैसे स्टूडेंट्स को इससे कितनी परेशानी हो रही है. मैं लोगों से कहना चाहुंगी कि इस बैन के फैसले को नकार दें और जिसे जहां जाना है वो वहां जाएं. हम इस बैन के खिलाफ कोर्ट जाएंगे.’’
महबूबा मुफ्ती (पीडीपी नेता और पूर्व सीएम जम्मू-कश्मीर)

वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘व्यापारी संघ के नेता मुझसे मिले हैं और कहा कि ये हाइवे हमारी लाइफलाइन है. इसके बंद होने से हमें नुकसान होगा. ऐसा लगता है जैसे ये तानाशाही भरा फैसला है. सेना की आवाजाही के लिए वो ट्रेन का इस्तेमाल कर सकते थे. ताकि लोगों को इससे दिक्कतों का सामना न करना पड़े.’’

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