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तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट की लीज अडानी को, केरल सरकार पहुंची HC

केरल सरकार का क्या कहना है?

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केरल सरकार ने हाई कोर्ट में केंद्र के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट का ऑपरेशन लीज पर देने के फैसले को चुनौती दी है. केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट ऑपरेशन्स को अगले 50 सालों के लिए अडानी एंटरप्राइज लिमिटेड को देने का फैसला किया है.

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न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय कैबिनेट ने तिरुवनंतपुरम के अलावा गुवाहाटी और जयपुर एयरपोर्ट को भी लीज पर देने का फैसला किया है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) की प्रतियोगी बोली में अडानी ग्रुप सफल हुआ था और इन एयरपोर्ट के मेंटेनेंस और डेवलपमेंट की जिम्मेदारी अब उसकी होगी.

केरल सरकार का क्या कहना है?

केरल के सीएम पिनरई विजयन ने केंद्र को एक लेटर लिखकर आरोप लगाया है कि केरल के स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) को नजरअंदाज किया गया, जबकि राज्य मेजोरिटी स्टेकहोल्डर है.

  • विजय पीएम मोदी से मुलाकात कर चुके हैं और उन्होंने एयरपोर्ट के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल के जरिए बोली लगाने के मौके की मांग की थी. स्पेशल पर्पज व्हीकल को केरल स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने बनाया है.
  • केरल सरकार की PPP के तहत तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए बोली अदानी की जीतने वाली बोली से 19.64 प्रतिशत कम थी.
  • केरल सरकार साफ कर चुकी है कि एयरपोर्ट और दूसरे परिसरों को लीज पर देना जनहित में नहीं है.

विजयन ने लिखा था, "इस फैसले को लागू करने में समर्थन देना केरल के लिए मुश्किल होगा."

सिविल एविएशन मंत्रालय का जवाब

सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने ट्वीट में कहा कि 'केंद्रीय कैबिनेट ने प्राइवेट पार्टी को एयरपोर्ट देने का फैसला रिट पेटिशन के नतीजे के मुताबिक किया है और ये रियायत पाने वाले की दी गई अंडरटेकिंग के प्रावधानों के अनुरूप है.'

पुरी के हाल के ट्वीट्स के मुताबिक:

  • रियायत पाने वाला AAI से किसी नुकसान पर मांग नहीं करेगा.
  • कस्टम, सिक्योरिटी, इमिग्रेशन, पेड़ और जानवरों का क्वॉरंटीन, स्वास्थ्य सुविधाएं, कम्युनिकेशन और नेविगेशन, सर्विलांस/एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे सॉवरेन काम सरकारी एजेंसियां करती रहेंगी.
  • सभी एयरपोर्ट 50 सालों के बाद AAI के पास आ जाएंगे.
  • अगर केरल सरकार बोली प्रक्रिया रद्द करने की याचिका देती है तो रियायत पाने वाले को एयरपोर्ट का पजेशन वापस देना होगा और उसे रिफंड किया जाएगा.

इससे पहले पुरी ने केरल के कन्नूर में PPP मॉडल की सफलता का जिक्र किया. उन्होंने मुंबई, दिल्ली और कोच्चि एयरपोर्ट के सफलतापूर्वक PPP मॉडल के तहत चलने की बात भी राखी.

मंत्री ने अपने बयान में कहा, "अगर केरल सरकार निजीकरण के खिलाफ है तो उसने बोली लगाने की प्रक्रिया में हिस्सा क्यों लिया था? राज्य सरकार को साफ मौका दिया था और अगर उनकी बोली सबसे ऊंची बोली से 10 प्रतिशत कम की रेंज में होती तो 'Right of First Refusal' (RoFR) भी दिया गया."

फिर वो केरल हाई कोर्ट चले गए जहां दिसंबर 2019 में याचिका खारिज हो गई. याचिकाकर्ताओं ने फिर सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट ने केस को हाई कोर्ट भेज दिया. दोनों कोर्ट में केस में कोई स्टे नहीं दिया है. 
हरदीप सिंह पुरी, सिविल एविएशन मंत्री
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थरूर की हुई आलोचना

तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के इस मामले में अपनी चिंताएं जाहिर करते हुए केरल के वित्त मंत्री डॉ थॉमस आइसेक ने ट्वीट किया कि 'पीएमओ ने केरल का प्रस्ताव रखने का वादा तोड़ा है.'

डॉ थॉमस ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की भी आलोचना की है. थरूर ने हरदीप सिंह पुरी की उन बातों का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि केरल सरकार बोली प्रक्रिया के लिए क्यों योग्य नहीं थी और लीज अदानी ग्रुप को मिली.

थॉमस ने 'कोच्चि में सफल सरकार के CIAL मॉडल' का जिक्र करते हुए थरूर से पूछा कि अदानी ग्रुप को 'तिरुवनंतपुरम में क्यों नहीं टाला जा सकता था?'

अपने केंद्र के समर्थन का बचाव करते हुए थरूर ने डॉ थॉमस को जवाब दिया कि 'मेरा मतलब राजस्व से नहीं' बल्कि 'एयरपोर्ट का पोटेंशियल बढ़ाने से था."

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