हाल में केरल (Kerala) के एक प्रमुख कैथोलिक बिशप द्वारा "नारकोटिक्स जिहाद" की विवादित टिप्पणी की गई थी. अब मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नारकोटिक्स का कोई धार्मिक रंग नहीं होता.
तिरुवंतपुरम में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "यह पहली बार है कि हम नारकोटिक्स जिहाद जैसा कोई शब्द सुन रहे हैं. नारकोटिक्स जैसी समस्या किसी विशेष धर्म को प्रभावित नहीं करती. इसका प्रभाव पूरे समाज पर होता है, इसलिए हमें इसके ऊपर बहुत गंभीरता से ध्यान देने और इस समस्या को बढ़ने से रोकने की जरूरत है. हमें कानूनी प्रक्रिया को मजबूत करना होगा."
नारकोटिक्स का कोई धर्म नहीं होता. यह एक देशद्रोही काम है. कोई भी धर्म ड्रग्स के प्रयोग और व्यापार को बढ़ावा नहीं देता.
मुख्यमंत्री सायरो मालाबार चर्च के बिशॉप जोसेफ कल्लारंगट द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे. मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि पलाई बिशप की टिप्पणी का संदर्भ साफ नहीं है. लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को ऐसे मामलों पर कुछ बोलते समय यह तय करना चाहिए कि उनकी टिप्पणी से समाज में कोई धार्मिक मतभेद पैदा न हो.
बिशॉप कल्लारंगट ने दावा किया था कि ईसाई और अन्य गैर-मुस्लिम समुदाय से संबंधित लोगों को लव जिहाद और नारकोटिक्स जिहाद जैसे हथकंडों से निशाना बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा था, "हमारे जैसे लोकतांत्रिक देशों में हमेशा से किसी अन्य समुदाय के लोगों को हथियारों से मार डालना आसान नहीं है, इसलिए जिहादी ऐसे साधनों का उपयोग कर रहे हैं जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है. जिहादियों की नजर में गैर-मुस्लिमों को नष्ट किया जाना चाहिए. वो अपने धर्म के विस्तार और गैर-मुस्लिमों के विनाश के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. लव जिहाद और नारकोटिक्स जिहाद अभी के दो व्यापक और चर्चित तरीके हैं."
उन्होंने बयान में आगे कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन, शोषण, वित्तीय लाभ कमाने और आतंकी गतिविधियों जैसे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जिहादी अन्य धर्मों की महिलाओं को प्यार या अन्य माध्यमों में फंसा रह हैं. महिलाएं जैसे ही 18 वर्ष की उम्र पूरी करती हैं, उनको प्यार के जाल में फंसाया जाता है.
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