UAPA और सेडिशन कानून के तहत उत्तर प्रदेश में हिरासत में लिए गए केरल के पत्रकार सिद्धिकी कप्पन ने जमानत के लिए मथुरा कोर्ट का रुख किया है. कप्पन का कहना है कि उनके खिलाफ कोई सबूत ना होने के बावजूद केस दर्ज किए गए. बता दें कि कप्पन को अक्टूबर 2020 में हिरासत में लिया गया और तब से अब तक वो जेल में बंद हैं. उनके केस में पुलिस ने 2 अप्रैल 2021 को चार्जशीट फाइल की थी. उन्होंने पुलिस के रवैए को लेकर कई आरोप लगाए हैं.
पत्रकार सिद्धिकी कप्पन ने याचिका में कहा-
FIR में जो तथ्य लिखे गए हैं वो मनगढ़ंत और भटकाऊ हैं. इस एफआईआर का आधार एक मीडिया रिपोर्ट है, जिसे सबूत के तौर पेश किया गया है.सिद्धिकी कप्पन, पत्रकार
गैरकानूनी तरीके से मुझे गिरफ्तार किया गया: कप्पन
सिद्धिकी कप्पन ने अपनी जमानत याचिका में कई सारी बातें कही हैं. उनका कहना है कि 'अक्टूबर 2020 में जब मैं हाथरस क्राइम केस की रिपोर्टिंग करने जा रहा था तो उन्होंने गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया. पत्रकार होने के बावजूद गिरफ्तार किया जाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.'
कप्पन का मानना है कि उनके मामले में गिरफ्तारी के लिए कुछ भी संदेहास्पद नहीं था. उन्होंने आरोप लगाया है कि 5 अक्टूबर 2020 को जिस दिन उनकी गिरफ्तारी हुई, उनको पीटा गया. उनके परिवार या फिर वकील को गिरफ्तारी के बारे में नहीं बताया गया और उनके मुताबिक ये सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में रेप के एक मामले में सरकार की किरकिरी के बाद, वहां जाने के दौरान पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, अतीक-उर-रहमान, मसूद अहमद और आलम को गिरफ्तार किया गया था. चारों के खिलाफ सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और आईटी अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.
इनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में दावा किया गया कि वे एक "साजिश" के तहत "शांति भंग करने" के इरादे से हाथरस जा रहे थे. उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स ने 4 अप्रैल को पत्रकार सिद्दीकी कप्पन समेत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी स्टूडेंट विंग से कथित तौर पर जुड़े 8 लोगों के खिलाफ मथुरा की एक अदालत में करीब 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट में राजद्रोह, आपराधिक साजिश, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने जैसे आरोप हैं.
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