वैज्ञानिक विधि से खेती करने से किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है. वहीं किसानों में बहुफसली का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यूपी के ओरैया जिले का एक युवा किसान एकसाथ कई फसलें तैयार कर मुनाफा कमा रहा है. इसके साथ ही वह अन्य लोगों को भी बहुफसली खेती के लिए प्रेरित कर रहा है.
जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर ब्लॉक भाग्यनगर में बसे गांव पतरा निवासी किसान देवानंद (42 साल) बहुफसली खेती करते हैं. एक बार में सात से आठ फसले उगाते हैं. साढ़े 3 एकड़ जमीन में साग-सब्जी की खेती करते है़. जब जिस फसल का मौसम होता है उससे हटकर फसल की बुआई कर अच्छा पैसा कमाते हैं. फूलगोभी, पत्ता गोभी, धनिया, टमाटर, तुरई, मूली बाजार से खत्म होने को है, लेकिन देवानंद ने अपने खेत में इन्हीं फसलों को अब तैयार कर रखा है जिससे बाजार में अच्छे दाम मिल जायेंगे.
देवानंद बताते हैं, “मेरे पास सात एकड़ जमीन है, जिसमें साढ़े 3 एकड़ जमीन मां के नाम है और साढ़े 3 एकड़ मेरे नाम. मां गेहूं, सरसों बगैरह करती है, जबकि मैं अपनी जमीन में वैज्ञानिक विधि से खेती कर अच्छा कमा लेता हूं. बिन मौसम की सब्जियां करने से अच्छा पैसा मिलता है. जायद की फसल में दो एकड़ में धनिया है.”
धनिया के साथ टमाटर, मूली, फूलगोभी, तरबूज, कददू, तुरई, लौकिया सहित आठ फसलें तैयार की है, जो कि पैदावार में बहुत ही अच्छी है. आकर्षक फसल लगाने का किसान को एक शौक सा हो गया है. बिन मौसम की सब्जियां अधिक उगाता है. टेंपरेचर कायम रखने के लिए पाली हाउस का उपयोग करता है. जिस तरह लोग प्लास्टिक के गुलदस्ते को कमरे में सजाते हैं, उसी तरह किसान अपने खेत को फसल से सजा देता है.
अधिकारी भी हैं किसान के कायल
एक साथ उगाई एक खेत में सात से आठ फसलें देखने के लिए अधिकारी भी पहुंचते हैं.
जिले में इंटरक्रापिंग फसल कर किसान अच्छा पैसा कमा रहे हैं. जिस फसल में रोव के साथ फ्लावर प्लांट हो तो वहां कीट-पतंग नहीं लगता है. फसल में कम पानी लगे और बचत अधिक हो इसके लिए किसानों को स्प्रिंकलर उपलब्ध करा दिये गये हैं.राजेंद्र कुमार, जिला उद्यान अधिकारी औरैया
देवानंद एक सफल किसान हैं जो वैज्ञानिक विधि से खेती करते हैं. अगर इसी तरह किसान फसलें उगाये तो वह अपनी दोगुनी तो दूर की बात है तीन गुनी कर सकते हैं.जय कुमार, उप कृषि निदेशक, औरैया
इंटरक्रॉपिंग फसल कर जहां किसान ने अपनी आय बढ़ाई है, वहीं कृषि के क्षेत्र में अपना नाम भी वैज्ञानिक के रूप में उभारा है.
(इश्तियाक खान की ये रिपोर्ट गांव कनेक्शन से ली गई है)
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