देश की राजधानी दिल्ली में संसद भवन से चंद कदमों की दूरी पर एक अनोखी संसद जुटी- किसान मुक्ति संसद. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के झंडे तले दिल्ली के संसद मार्ग पर देशभर से आए हजारों किसान जमा हुए. मांग थी- किसानों की कर्जमाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी फसल का सही दाम.
देश की संसद की तर्ज पर बाकायदा 543 सांसदों की एक संसद में किसानों की मांग को बिल की शक्ल में पेश किया गया. लेकिन खास बात ये कि तमाम सांसद वो महिलाएं थीं, जिनका नाता खेती से है. क्विंट ने देश के अलग-अलग हिस्सों से आई उन महिला ‘सांसदों’ से बात की, तो सामने आईं उनकी दर्दनाक कहानियां.
नाम- कांता पांडुरंग विसे
उम्र- 35 साल
गांव- भिसे वाघोली, लातूर, महाराष्ट्र
दो साल पहले कांता की 18 साल की बेटी ने कीड़े मारने की जहरीली दवा पीकर आत्महत्या कर ली थी. वजह ये कि महज एक एकड़ खेत के मालिक उसके पिता, बेटी की शादी के लिए दहेज जुटाने की हालत में नहीं थे. कांता के मुताबिक:
खेत से उन्हें सालाना 12 से 15 हजार की कमाई होती है. इसके अलावा पति मजदूरी करते हैं, जिससे सालभर में 20 से 25 हजार तक की और कमाई हो जाती है.
कांता की दो बेटियां और एक बेटा है. बड़ी बेटी शादी के लायक हो चुकी है. कांता का हर दिन खौफ में गुजरता है कि कहीं वो भी अपनी बहन की तरह कोई खतरनाक कदम न उठा ले. किसानों की आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र का रिकॉर्ड सबसे खराब है. साल 2015 में वहां 3030 किसानों ने सुसाइड किया था.
नाम- वेनल्ला
उम्र- 18 साल
गांव- वाच्या थांडा, वारंगल, तेलंगाना
ग्रेजुएशन के दूसरे साल में पढ़ रही 18 साल की वेनल्ला के पिता ने 12 अक्टूबर, 2016 को आत्महत्या की थी. खेती की कमाई से वो बैंक और महाजन का कर्ज नहीं चुका पा रहे थे. पति की मौत के बाद वेनल्ला की मां पागल हो गईं. उसके 10 और 8 साल के दो भाई भी हैं. मां के इलाज और भाइयों की पढ़ाई के बोझ ने वेनल्ला को उम्र से पहले ही बड़ा कर दिया है.
साल 2015 में तेलंगाना में 1358 किसानों ने सुसाइड किया था, जो महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है.
नाम- कुलसम बेन उस्मान बाई
उम्र- 30 साल
गांव- त्रुमठ, सुरेंद्रनगर, गुजरात
इसी साल सावन में हुई ज्यादा बारिश ने कुलसम बेन की 20 बीघा कपास की खेती बरबाद कर दी. नतीजा ये कि परिवार चलाने के लिए आजकल उनके किसान पति रिक्शा चलाते हैं. कुलमस का दर्द है कि तमाम मेहनत के बावजूद या तो फसल बरबाद हो जाती है या फिर मंडी में दाम नहीं मिलता. वो अपने सात साल के बेटे को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहती हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा.
नाम- प्रभावती स्वामी हीरामठ
उम्र- 55 साल
गांव- बीदर, कर्नाटक
30 साल पहले हुई पति की मौत के बाद प्रभावती अपने किसान भाई साथ रहती थी, जिसने करीब पांच साल पहले खुदकुशी कर ली. कारण वही- कर्ज. प्रभावती 10 एकड़ जमीन में गन्ना और दलहन की खेती करती हैं. उनके चार युवा बच्चे और भाई के तीन बच्चे भी खेतों में ही काम करते हैं.
प्रभावती के मुताबिक, कीटनाशक दवाओं और मजदूरी पर होने वाले खर्च के बाद कुछ नहीं बचता.
नाम- कौसल्या देवी
उम्र- 55 साल
गांव- नौवां, रोहतास, बिहार
दक्षिणी बिहार के रोहतास जिले से दिल्ली पहुंची कौसल्या देवी अपने पति के साथ चार बीघा जमीन पर धान, गेहूं, चना और सरसों की खेती करती हैं. एक बेटा और पांच बेटियां, यानी सात लोगों के परिवार का खेती से बामुश्किल ही गुजारा हो पाता है और गांव में आमदनी का कोई और जरिया नहीं है. वो दिल्ली इस उम्मीद से आई हैं कि अपना दर्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा सकें.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, साल 2015 में खेती से जुड़े 12,602 लोगों ने आत्महत्या की थी. उनमें 8,007 किसान और 4,595 खेतिहर मजदूर थे.
स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने क्विंट से बात करते हुए कहा:
ये पहली बार है कि देशभर के 184 संगठन एक साथ जुटे हैं और वो सिर्फ विरोध नहीं कर रहे, बल्कि विकल्प पेश कर रहे हैं.
किसान मुक्ति संसद में शिरकत करने आए तमाम लोग सरकार से कर्जमाफी और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक फसल के लागत के डेढ़ गुना समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं.
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