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कौन है उन्नाव रेप में दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर?

उन्नाव के बांगरमऊ से BJP विधायक की पूरी कहानी, जिस पर लगा है गैंगरेप का आरोप

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उन्नाव में लड़की के साथ रेप और अपहरण के मामले में दोषी करार विधायक कुलदीप सेंगर को उम्र कैद सी सजा हो गई है. इस मामले ने यूपी का सियासी पारा चढ़ा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद इस केस में काफी तेजी आई और आखिरकार आरोपी सेंगर को सजा हो ही गई.

विधायक सेंगर पर जून 2017 में लड़की से गैंगरेप का आरोप लगा. मामले की पैरवी रोकने के लिए पीड़िता के पिता को 3 अप्रैल को पेड़ से बांधकर बेरहमी से पिटवाने का आरोप भी लगाया गया. इसके अलावा फर्जी मामले में बंद भी कराने का आरोप था. इसके बाद जेल में ही 8 अप्रैल की रात खून की उल्टी के साथ लड़की के पिता पप्पू सिंह की मौत हो गयी थी. जानिए दोषी विधायक की पूरी कहानी.

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कौन हैं रेप के आरोपी विधायक?

कुलदीप सेंगर उन्नाव जिले के माखी थाना क्षेत्र के सराय थोक निवासी हैं और जिले की बांगरमऊ सीट से विधायक हैं. कुलदीप सेंगर ने यूथ कांग्रेस से राजनीति की शुरूआत की और 2002 में भगवंत नगर से बीएसपी के टिकट पर विधायक बने. इन्हें रघुराज प्रताप सिंह राजा भईया का बेहद करीबी माना जाता है. ये दलबदलू नेता के नाम से भी चर्चित हैं.

साल 2012 में एसपी के साथ आये और पार्टी का माहौल खराब हुआ तो 2017 में बीजेपी का झंडा पकड़ विधायक बन गये. पत्नी से से लेकर भाईयों तक, सभी में किसी न किसी पद पर रहने का जुनून है. पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया, भाई मनोज सेंगर ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं. और खुद लोकसभा के लिए अपनी पिच तैयार कर रहे हैं. उनके तीसरे भाई अतुल सिंह ‘मसल मैनेजमेंट’ देखते है. यानी कि परिवार के पॉलिटिकल एम्पायर में छेड़छाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर ठीक करना का माद्दा रखते हैं.

बताया जाता है कि विधायक और उनके भाइयों की इतनी दबंगई है कि 2004 में एक एएसपी को गोली मार दी थी. ऐसे में सामान्य लोगों को ठीक करना तो इनके बायें हाथ का खेल लगता है, जिसे शायद कभी विधायक परिवार के खास रहे मृतक पप्पू सिंह नही समझ पाये.  

पप्पू सिंह गैंगरेप की पीड़ित अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए विधायक के खिलाफ मोर्चा तो ले लिये, लेकिन मौत के शिकार हो गये. जिसका आरोप पीड़ित परिवार विधायक पर लगा रहा है. ये मामला बेटी के रेप से लेकर पिता की मौत तक पहुंच गया.

हैरानी की बात ये है कि जो लड़की बीते जून महीने से उसके साथ हुए गैंगरेप कहानी सुना-सुना कर थक गयी है उसके 164 के बयान में कुलदीप का नाम ही नहीं था.न्याय के लिए उसने सीएम योगी के आवास पर आत्मदाह की कोशिश भी कर चुकी है, उसने मजिस्ट्रेट के सामने विधायक कुलदीप का नाम क्यों नहीं लिया था? यह बड़ा सवाल है.

पीड़ित लड़की के पिता और चाचा के खिलाफ फर्जी केस कराने का आरोप

पीड़ित लड़की के चाचा महेश सिंह का कहना है कि विधायक के खिलाफ पुलिस कुछ नहीं कर सकती. बयान से विधायक कुलदीप का नाम हटाया गया है. महेश सिंह की मानें तो विधायक के इशारे पर उनके खिलाफ 21 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर के बीच माखी और सफीपुर कोतवाली में चार मुकदमे दर्ज कराये गये. मृतक पप्पू सिंह के खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज कराये गये.

पत्रकारों के खिलाफ भी कराए मुकदमे

यही नहीं विधायक ने खिलाफ खबर चलाने वाले पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा. उन्नाव में आईबीएन 7 के रिपोर्टर ने आरोपी विधायक के खिलाफ अवैध खनन की खबर दिखायी. जिस पर रिपोर्टर के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज कराये गये. गौरव शर्मा का कहना है कि विधायक के इशारे पर उनके करीबियों ने मुझे डराने के लिए मुकदमा दर्ज कराया. दैनिक जागरण के स्थानीय संवाददाता अमित मिश्रा के खिलाफ भी विधायक के इशारे पर मुकदमा दर्ज कराया गया.

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विधायक के गुर्गे दर्ज कराते हैं शिकायत

बताया जाता है कि विधायक कुलदीप की ये मोडस ऑपरेंडी है, वो कभी भी सामने नहीं आते बल्कि इशारे पर उनके गुर्गे विपक्षियों को तंग करते हैं और फिर भी बात नहीं बनती है तो उन्हीं से फर्जी मुकदमे दर्ज कराये जाते है. पीडिता लड़की के पिता के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. पिता पप्पू सिंह को विधायक के गुर्गे घसीटते हुये ले गये और मारा-पीटा. पप्पू सिंह की पत्नी ने जो देखा वही बिना लाग लपेट पुलिस को बताया.

वहीं दूसरी तरफ पिटाई करने वाले विधायक के गुर्गों ने भी साजिश के तहत मारपीट का मामला दर्ज करा दिया. और पुलिस ने भी अपना फर्ज निभाते हुए गंभीर रूप से घायल पप्पू सिंह को जेल में डाल दिया. ताकि वो बेटी की पैरवी न कर सके.

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