भारतीय वायुसेना का एक पायलट पाकिस्तान के कब्जे में है. हर देशवासी पायलट की कुशलता की कामना कर रहा है. सोशल मीडिया पर समर्थन जताया जा रहा है. लेकिन हर किसी के मन में सवाल है कि आखिर दुश्मन देश में युद्धबंदी के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है? साथ ही युद्धबंदियों की वतन-वापसी किन नियमों के तहत होती है? देशभर के लोगों के मन में सवाल है कि जब कोई सैनिक दुश्मन देश के इलाके में पहुंच जाता है तो उसकी वापसी के क्या रास्ते हैं?
आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के पायलट को पाकिस्तान चाहकर भी हाथ नहीं लगा सकता. इसकी वजह है इंटरनेशनल प्रोटोकॉल. नियमों के मुताबिक, किसी देश का कोई सैनिक अगर दुश्मन देश में बंदी बना लिया जाता है, तो उस पर कुछ इंटरनेशनल प्रोटोकॉल लागू हो जाते हैं.
जेनेवा कन्वेंशन करता है युद्धबंदियों के अधिकारों की रक्षा
युद्धबंदी (Prisoner Of War) के अधिकारों को बरकरार रखने के लिए जेनेवा कन्वेंशन हुआ था. इसका मकसद है युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है.
इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस के मुताबिक, जेनेवा कन्वेंशन में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों के अधिकारों की रक्षा से संबंधित नियम हैं. इसमें बताया गया है कि युद्ध के दौरान बंधक बनाए गए सैनिकों और घायलों के साथ कैसा बर्ताव करना है. इसमें साफ तौर पर बताया गया है कि युद्धबंदियों (POW) के क्या अधिकार हैं.
क्या कहते हैं जेनेवा कन्वेंशन के नियम
- युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से इलाज होना चाहिए
- युद्धबंदियों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए
- उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए
- सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी
- युद्धबंदियों को डराया-धमकाया नहीं जा सकता
- उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता
- युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है
- युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लौटाना होता है
- युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है
- संधि के तहत युद्धबंदी को खाने-पीने और जरूरत की सभी चीजें दी जाती हैं
पाकिस्तान ने बुधवार को दावा किया कि उसने भारतीय वायुसेना के पायलट को अपने कब्जे में ले लिया है. न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक, इस पायलट की पहचान विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के रूप में हुई है.
IANS ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अभिनंदन भारतीय वायुसेना के पायलट हैं और वह सेवानिवृत्त एयर मार्शल के बेटे हैं. सुखोई-30 के पायलट अभिनंदन को 2004 में कमीशन मिला था.
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