सुप्रीम कोर्ट के एतिहासिक फैसले के बाद केरल के सबरीमाला मंदिर के दरवाजे बुधवार शाम सभी उम्र की महिलाओं के लिए खोल दिए जाएंगे. ऐसा पहली बार होगा जब सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत होगी. हालांकि, महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने के लिए विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं. इन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है.
आखिर, ये सबरीमाला मंदिर विवाद क्या है? महिलाओं को अब तक मंदिर में प्रवेश की इजाजत क्यों नहीं थी? महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने का विरोध क्यों हो रहा है? ऐसे ही सवालों के जवाब और इस पूरे विवाद को समझने के लिए पढ़िए ये 10 बड़ी बातें-
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- सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश और पूजा करने की इजाजत दे दी है. इससे पहले तक 10 साल से लेकर 50 साल की उम्र वाली महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी.
- साल 2006 में मंदिर के मुख्य ज्योतिषी परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा था कि मंदिर में स्थापित अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं और वह इसलिए नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है.
- इसके बाद ही कन्नड़ एक्टर प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने दावा किया था कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ और उनकी वजह से अयप्पा नाराज हुए. जयमाला ने दावा किया था कि साल 1987 में वह अपने पति के साथ जब मंदिर में दर्शन करने गई थीं तो भीड़ की वजह से धक्का लगने के चलते वह गर्भगृह पहुंच गईं और भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं.
- जयमाला के दावे पर केरल में खूब हंगामा हुआ. इसके बाद मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने के इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान गया.
- साल 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की. करीब 10 साल तक ये मामला लटका रहा. बाद में याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ट्रस्ट से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत न देने पर जवाब मांगा.
- बोर्ड ने कहा था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इस वजह से मंदिर में वही बच्चियां और महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, जिनका मासिक धर्म शुरू न हुआ हो या फिर खत्म हो चुका हो.
- नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख जाहिर किया. कोर्ट ने कहा कि वह सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के पक्ष में है.
- साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को सौंप दिया था और जुलाई, 2018 में पांच जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की थी.
- 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे दी. कोर्ट ने कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी.
- कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है. ऐसे में उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता.
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