42 साल के मुजाहिद मिर्जा पिछले आठ साल से स्कूल में टीचर हैं, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इस तरह मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया जाएगा.
मिर्जा राजस्थान के कोटा (Kota) जिले के सांगोद के खजूरी गांव में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में फिजिकल एजुकेशन के टीचर हैं. 22 फरवरी को अस्पताल से लौटने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें 'जबरन धर्म परिवर्तन' और 'लव जिहाद' के आरोप में निलंबित कर दिया गया है.
उन्होंने क्विंट को बताया, "मुझे फूड प्वाइजनिंग की वजह से बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जब मैं वापस आया, तो मुझे मेरे एक दोस्त जो खुद टीचर हैं, उनका फोन आया और उन्होंने मुझे निलंबन आदेश के बारे में बताया. मैं हैरान था. मुझे व्यक्तिगत रूप से आदेश नहीं मिला बल्कि मुझे एक व्हाट्सएप ग्रुप पर आदेश मिला.''
यह न केवल मिर्जा के लिए, बल्कि फिरोज खान और शबाना के लिए भी एक झटका है, जिन्हें भी अचानक निलंबित कर दिया गया है, जबकि बाकी टीचर और छात्रों ने आरोपों को खारिज किया है और सस्पेंड किए गए टीचर के समर्थन में सामने आए हैं.
दरअसल, एक हिंदू लड़की मुस्कान और एक मुस्लिम लड़के लकी अली से जुड़े एक अलग दूसरे मामले ने गांव में हंगामा खड़ा कर दिया है और इस विवाद ने अब इन शिक्षकों को भी अपनी चपेट में ले लिया.
क्या है मामला? जैसा कि स्थानीय लोगों ने बताया, मुस्कान और अली ने कथित तौर पर एक महीने पहले शादी की थी. मुस्कान के माता-पिता ने आपत्ति जताई और मुस्कान के बारे में जानने के लिए स्कूल पहुंच गए.
मुस्कान के माता-पिता ने बजरंग दल और वीएचपी के दक्षिणपंथी सदस्य के साथ मिलकर रजिस्ट्री में विसंगति के आधार पर मिर्जा, फिरोज और शबाना के खिलाफ आरोप लगाए.
2019-2022 तक स्कूल में पढ़ाई करने वाली मुस्कान ने अपने एडमिशन फॉर्म में अपना धर्म 'इस्लाम' लिखा था. फिर, उसने इस बात की पुष्टि की कि यह एक गलती थी.
जिन शिक्षकों से हमने बात की है, उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि यह केवल फॉर्म में एक त्रुटि थी, जिसे सुधार लिया गया था, जबकि अन्य सभी स्कूल दस्तावेजों में भी यही कहा गया है.
"भले ही पुलिस ने सभी जरूरी सूचनाओं की पुष्टि और जांच की फिर भी उन्होंने हमारे खिलाफ ऐसे झूठे आरोप लगाए हैं. मामला पूरी तरह से अलग और असंबंधित है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे ऐसा कुछ करेंगे."द क्विंट से मिर्जा मुजाहिद
क्विंट के पास पूर्व छात्र के ओरिजनल फॉर्म की कॉपी भी है.
मुजाहिद के भाई, मुत्तलिब मिर्जा ने द क्विंट को बताया...
"उन्होंने उस एक गलती का फायदा उठाया और आरोप लगाया कि उसे 2019 में स्कूल में अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया गया था. राइट विंग मेंबर ने कहा कि क्योंकि उस समय कांग्रेस की सरकार थी, इसलिए ये बात बाहर नहीं आ सकी और अब जब सरकार बदल गई है तो उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है.''
'गांव का मुद्दा' से 'स्कूल का मुद्दा' तक
32 साल से शिक्षक फिरोज पिछले 5 साल से स्कूल में पढ़ाते हैं. वे क्लास 1 से 5 तक हिंदी, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं. फिरोज मुस्कान से कभी नहीं मिले और न ही जानते थे.
फिरोज ने द क्विंट को बताया, "हम निर्दोष हैं, हमने उनसे यहां तक कहा है कि वे इसे ठीक से देखें, अगर उन्हें कुछ गलत लगता है तो हमारी जांच करें. इस मामले की जांच केवल एक समुदाय को ध्यान में रखकर की गई है."
उस स्कूल में लगभग 200 छात्र हैं, जिनमें से लगभग 60-70 छात्र मुस्लिम हैं.
फिरोज के समर्थन में बोलते हुए, बाकी 12 शिक्षकों ने अधिकारियों को दिए अपने बयान में इसी तरह की बात दोहराई है.
लव जिहाद या धर्मांतरण रणनीति का कोई उदाहरण नहीं मिला.
इन तीनों शिक्षकों ने कुछ भी गलत नहीं किया/उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.
क्विंट को सस्पेंशन लेटर की कॉपी भी मिली. नोटिस में न केवल तीन शिक्षकों को निलंबित किया गया है, बल्कि उन्हें बीकानेर में शिक्षा विभाग कार्यालय में रिपोर्ट करने का भी आदेश दिया गया है.
फिरोज ने बताया, "प्रिंसिपल ने यह भी कहा है कि वह सिर्फ शिक्षा बोर्ड के आदेशों का पालन कर रहे हैं और वह कुछ नहीं कर सकते."
स्कूल के प्रिंसिपल कमलेश कुमार बेरवा ने एक और पत्र में स्पष्ट रूप से कहा...
"विद्यालय और कर्मचारियों के प्रति जो शिकायत प्राप्त हुई है, जिनमें अध्यापक के द्वारा धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और नमाज पढ़ान वाली आदि शिकायतें झूठ हैं.."
'उन्हें वापस लाओ': समर्थन में उतरे छात्र और कर्मचारी
"हमारे शिक्षकों को वापस लाओ" और "एक, दो, तीन, चार...बंद करो ये अत्याचार" जैसे नारों के साथ कई छात्रों ने इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाने के लिए लगभग 20 किलोमीटर दूर एसडीएम कार्यालय तक मार्च किया.
9वीं क्लास की छात्रा अक्षिता मीना ने कहा, "ये सभी झूठे आरोप हैं. लड़की अपनी मर्जी से शादी करना चाहती थी या अपना धर्म बदलना चाहती थी, उसने बयान भी दिया था, हमारे शिक्षकों ने कुछ नहीं किया है."
द क्विंट को मिले एक वीडियो में, जिसमें छात्रों को रोते हुए और स्कूल प्रशासन के साथ बहस करते हुए देखा गया था, जिसमें कहा गया था कि आरोप न सिर्फ झूठे हैं, बल्कि कई छात्रों को दक्षिणपंथी ग्रुप के सदस्यों ने झूठे बयान देने के लिए मजबूर किया था.
छात्रों ने बार-बार कहा कि वे शिक्षकों के निलंबन को रद्द करने की मांग के लिए "अपनी स्वतंत्र इच्छा" के तहत कार्यालय आए हैं.
"सभी हिंदू और मुस्लिम बच्चे स्कूल में एक साथ बैठते हैं, एक साथ खाते हैं और एक साथ खेलते हैं. हमारे स्कूल में कुछ भी गलत नहीं होता है. हमारे शिक्षकों के खिलाफ 'लव जिहाद' और 'धर्मांतरण' के ये सभी आरोप झूठे हैं."शानू वर्मा, कक्षा 7 की छात्रा
एसडीएम कार्यालय ने उन्हें जवाब में बताया कि एक उचित प्रक्रिया के तहत काम हो रहा है और इसकी आगे जांच की जाएगी.
छात्रों द्वारा एसडीएम कार्यालय में सौंपे गए पत्र में मुस्कान के परिवार और इस मुद्दे को तूल देने वाले दक्षिणपंथी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है.
क्लास 6 से 10 तक विज्ञान पढ़ाने वाले एक और टीचर सुरेंद्र कुमार ने कहा कि स्कूल में कभी भी ऐसी कोई घटना नहीं हुई है.
उन्होंने कहा, "यह एक गांव का मुद्दा था जिसे स्कूल में लाया गया है. प्रेस फॉर्म में बस एक छोटी सी त्रुटि थी, लेकिन रेजिस्ट्रेशन में कुछ भी गलत नहीं था. सही डीटेल अपलोड किए गए थे और सब कुछ वेरीफाई भी किया गया था."
इस बीच, मुत्तलिब ने कहा, "उन्होंने खास तौर से केवल तीन मुसलमानों को निशाना बनाया है, स्कूल में बारह हिंदू टीचर और तीन मुस्लिम टीचर हैं. उनके लिए ऐसा कुछ करना कैसे संभव है और उन्होंने ऐसा क्यों किया?"
शिक्षकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए दक्षिणपंथी सदस्यों का हिस्सा रहे स्थानीय लोगों में से एक गजानंद गौड़ ने क्विंट को बताया,
"उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और वह उनके साथ शामिल हो गए क्योंकि यह हिंदू लड़की और हिंदू समाज का मामला था."
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (सीबीईओ) रामअवतार रावल ने क्विंट को बताया कि निलंबन पूरी तरह से उनके विभाग से प्राप्त ज्ञापन के आधार पर किया गया था.
द क्विंट से बात करते हुए उन्होंने बताया, "कुछ छात्र और शिक्षक आरोपों के खिलाफ बोल रहे हैं, हम इससे इनकार नहीं कर रहे हैं. वे भी चुप नहीं रहेंगे. हमने बच्चों से बात करने और उन्हें शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सके. अब, स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहा है."
रावल ने दावा किया है कि चूंकि तीन शिक्षकों में से एक प्राथमिक में थे और अन्य दो माध्यमिक में थे, इसलिए उन्हें जिला मुख्यालय से अलग-अलग नोटिस भेजे गए हैं क्योंकि ये सिस्टम में दो अलग-अलग विभाग हैं.
हालांकि, शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि बीकानेर कार्यालय में रिपोर्ट करने के लिए क्यों कहा जा रहा है.
मिर्जा ने कहा, "सभी लोगों ने पूछा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि हमें बीकानेर जाने के लिए कहा जा रहा है. अगर ऐसा है, तो हम कोटा जिला कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे. शबाना डरी हुई हैं और पहले ही बीकानेर जा चुकी है."
(क्विंट ने शबाना, लकी अली, मुस्कान और कोटा में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी चारु मित्रा से भी संपर्क किया. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी.)
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