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एक Text मैसेज से ऐसे सामने आया कुंभ का फर्जी COVID टेस्ट ‘घोटाला’

कुंभ के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया है

Published
भारत
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कुंभ के दौरान बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया है. इसे सबसे बड़े 'कोरोना टेस्टिंग घोटाले' के तौर पर देखा जा रहा है. ये मामला कैसे एक LIC एजेंट की उत्सुकता से सामने आया, इस पर टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से बताया है.

इससे पहले TOI की 1600 पन्नों की रिपोर्ट में एक उदाहरण के तौर पर बताया गया है कि कैसे धांधली के एक केस में तो एक ही फोन नंबर से 50 से ज्यादा रिपोर्ट तैयार की गई हैं. इस मामले में विस्तृत जांच से पता चला है कि कम से कम एक लाख फर्जी टेस्ट रिपोर्ट एक निजी एजेंसी ने बनाई थीं.

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'बिना टेस्ट कराए, फोन पर आ गया टेस्ट रिपोर्ट'

अब चलते हैं LIC एजेंट विपन मित्तल के केस पर, जिनके लगातार लगे रहने से इस मामले की जांच पहले ICMR तक पहुंची बाद में ये बड़ा घोटाला सामने आया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अचानक एक दिन फरीदकोट के LIC एजेंट विपन मित्तल को कोरोना 'टेस्ट रिपोर्ट' टेक्स्ट मैसेज के जरिए मिलती है. ये रिपोर्ट निगेटिव थी. लेकिन विपन मित्तल खुश या दुखी नहीं हुए वो इस बेचैनी में थे कि आखिर बिना टेस्ट कराए उन्हें टेस्ट रिपोर्ट कैसे मिल सकती है.

स्थानीय प्रशासन से ICMR तक की दौड़-भाग

उनको शुरुआत में लगा कि किसी ने उनका प्राइवेट डेटा एक्सेस कर लिया है और उसका गलत इस्तेमाल कर रहा है. ऐसे में वो सीधा स्थानीय प्रशासन के पास गए और पूरी गड़बड़ी के बारे में बताया. रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन ने इसपर खास ध्यान नहीं दिया, मित्तल इसके बाद हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों के पास पहुंचे लेकिन उन्हें भी इसमें कुछ 'खास मामला' नहीं दिखा. आखिरकार मित्तल ने ICMR में शिकायत दर्ज कराई. तब जाकर ICMR ने उनकी शिकायत का संज्ञान लिया लेकिन जब कुछ दिन बीत गए और मामूली ही कार्रवाई की बात विपन मित्तल को पता चली तो उन्होंने RTI दायर करने का फैसला किया.

तब जाकर चीजें आगे बढ़ने लगीं और जांच में ये पाया गया कि जिस लैब से मित्तल के पास कोविड टेस्टिंग की रिपोर्ट आई थी वो तो हरिद्वार की है.

मित्तल ये सोच भी नहीं सके थे कि ये इतना बड़ा घोटाला निकलने जा रहा है. लेकिन जब उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने बड़े पैमाने पर जांच की तो पता चला कि ऐसे फर्जी टेस्ट में से विपन मित्तल का केस महज एक था, ऐसे हजारों की संख्या में फर्जी कोरोना टेस्ट दिखाए गए थे. संख्या अब करीब एक लाख फर्जी टेस्ट रिपोर्ट की बताई जा रही है.

'ये सिर्फ शुरुआत है'

अब अधिकारियों का कहना है कि 'ये सिर्फ शुरुआत है' क्योंकि राज्य सरकार ने सैंपल इकट्ठा करने वाली ऐसी आठ एजेंसियों को काम पर रखा था. हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को कुंभ मेले के दौरान रोजाना कम से कम 50,000 टेस्ट करने के निर्देश दिए थे. मेला हरिद्वार में 1 से 30 अप्रैल तक चला था.

अलग-अलग तरह की धांधली सामने आई है कई रिपोर्ट में एक ही फोन नंबर तो कई रिपोर्ट में नाम और पता ही काल्पनिक हैं. कई ऐसे लोगों के नाम पर पता भी निकला है जो कभी कुंभ गए ही नहीं.

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