इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा कांड के 4 मुख्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने किसानों को धमकी देने वाला कथित बयान नहीं दिया होते तो लखीमपुर खीरी में हिंसक घटना नहीं हुई होती.
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि ऊंचे पदों पर बैठे राजनीतिक व्यक्तियों को समाज में एक सभ्य भाषा अपनाते हुए सार्वजनिक बयान देना चाहिए. उन्हें गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करना आवश्यक है.
अदालत ने यह भी पाया कि जब क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 144 लागू की गई तो कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन क्यों किया गया और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने वहां कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में क्यों आए?
अदालत ने कहा कि इस पर विश्वास नहीं होता कि राज्य के उपमुख्यमंत्री की जानकारी में यह नहीं था कि क्षेत्र में धारा 144 के प्रावधानों को लागू किया गया है और वहां कोई भी सभा करना निषिद्ध है.
बता दें, कोर्ट ने अपराध की स्वतंत्र, निष्पक्ष, निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच करने के लिए विशेष जांच दल के प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही, बेंच ने कहा कि आरोप पत्र में आरोपी-आवेदक और अपराध के सह-अभियुक्त के खिलाफ भारी सबूतों का खुलासा किया गया है, जिसे क्रूर, शैतानी, बर्बर, भ्रष्ट, और अमानवीय करार दिया गया है.
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