उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में मारे गए किसानों के परिवारों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के बेटे और मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की जमानत को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. एडवोकेट प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंत्री के बेटे के खिलाफ "भारी सबूत" होने के बावजूद जमानत दी है.
थार गाड़ी से किसानों को कुचलने का है आरोप
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि राज्य सरकार जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में विफल रही है.
याचिका में कहा गया है कि,
"उच्च न्यायालय ने अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार किए बिना जमानत दे दी- आरोप पत्र में आरोपी के खिलाफ भारी सबूतों की प्रकृति, पीड़ित और गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति, आरोपी के न्याय से भागने की संभावना और अपराध को दोहराना, गवाहों के साथ छेड़छाड़ और न्याय के रास्ते में बाधा डालने की संभावना. “सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार
केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत के खिलाफ दायर की जाने वाली यह दूसरी याचिका है. आशीष मिश्रा की रिहाई के दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें याचिकाकर्ताओं ने सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकी देने की संभावना जताई थी.
पिछले साल यूपी के लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारी किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 15 फरवरी को जेल से रिहा किया गया था. निचली अदालतों के अनुरोधों को खारिज करने के बाद उन्हें पिछले हफ्ते इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी.
कतिथ तौर पर 3 अक्टूबर को आशीष मिश्रा की महिंद्रा थार कार ने लखीमपुर खीरी में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध मार्च के दौरान चार किसानों और एक पत्रकार को कुचल दिया था. किसानों का दावा है कि उस घटना के वक्त आशीष मिश्रा गाड़ी में मौजूद था.
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