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लक्षद्वीप में 12 घंटे का प्रदर्शन, लोग बोले- ‘न लोकतंत्र, न शांति’

केंद्र शासित प्रदेश Lakshadweep में लागू हुए ड्राफ्ट रेगुलेशन के विरोध में प्रदर्शन

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लक्षद्वीप के लोगों ने 7 जून की सुबह 6 बजे से 12-घंटे लंबी भूख हड़ताल (lakshadweep protests) शुरू की. ये हड़ताल केंद्र शासित प्रदेश में लागू हुई ड्राफ्ट रेगुलेशन के विरोध में हो रही है. कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों ने मास्क पहनकर और प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल (praful khoda patel) के फैसलों की निंदा करने वाले नारे लिखे पोस्टर पकड़कर प्रदर्शन किया.

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एक परिवार ने अपने बैनर पर लिखा, "हम अपने खूबसूरत लक्षद्वीप को लेकर हार नहीं मानेंगे. हम लोकतंत्र बचाएंगे."

बीजेपी के स्थानीय नेता समेत ज्यादातर राजनीतिक दल इस प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं.  

7 जून को सुबह 6 से शाम 6 बजे तक सभी दुकान बंद रहेंगी और उम्मीद है कि कोई भी समंदर में मछली पकड़ने नहीं जाएगा. साथ ही सड़कों पर गाड़ियां भी नहीं चलेंगी.

द्वीप पर प्रदर्शन तेज

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एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "जिससे शांति प्रभावित हो उसे विकास नहीं कहा जा सकता है. लक्षद्वीप का हर व्यक्ति और बच्चा मौत तक इसे बचाने के लिए लड़ेगा."

एक और स्थानीय ने कहा, "यहां के नेताओं ने हमें इस भयानक स्थिति में पहुंचा दिया है."

एक व्यक्ति ने कलेक्टर अस्कर अली के खिलाफ रोष जताया. उसने कहा, “कलेक्टर और प्रशासक को वापस बुलाया जाना चाहिए. लक्षद्वीप की शांति वापस आनी चाहिए.” 

केरल के पूर्व वित्त मंत्री थॉमस आइसेक ने ट्विटर पर लोगों के साथ एकजुटता दिखाई. उन्होंने लिखा, "इतिहास में पहली बार पूरे द्वीप पर प्रदर्शन हो रहा है."

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प्रदर्शन से पहले गिरफ्तारियां

6 जून की रात को कवारत्ती द्वीव के मुजीब, साजिद और जम्हर को कोविड क्वारंटीन नियमों के उल्लंघन में IPC के सेक्शन 269 के तहत हिरासत में ले लिया गया था. आरोप है कि तीनों प्रदर्शनों के ऐलान करने वाले पोस्टर लगा रहे थे और इसलिए पकड़े गए.

5 जून को देश के 93 रिटायर्ड टॉप सिविल सर्वेंट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर पटेल के हालिया विवादास्पद फैसलों का विरोध किया. कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप द्वारा लिखे गए इस खत में कहा गया है कि उनका किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं है, बल्कि उनका विश्वास निष्पक्षता और भारत संविधान के प्रति प्रतिबद्धता में है.

विवादित ड्राफ्ट के खिलाफ लेटर में लिखा गया, "साफ है कि ये ड्राफ्ट ज्यादा बड़े एजेंडा का हिस्सा हैं, जो इस द्वीप के हितों और इसकी आत्मा के खिलाफ है. यह फैसले लक्षद्वीप के लोगों से सलाह-मशविरा किए बिना लिए गए हैं."

केरल स्थित डॉ अशाबी कहते हैं, "मछुआरे परेशान हैं क्योंकि उनके उपकरण तोड़ दिए गए हैं. पब्लिक परेशान है कि कहीं उनके घर न तोड़ दिए जाएं. छात्रों के लिए खराब कनेक्टिविटी की दिक्कत है और वो ऑनलाइन क्लासेज अटेंड नहीं कर सकते. पंचायतों के लोकतांत्रिक अधिकार भी छीन लिए गए हैं."

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