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लक्षद्वीप एक्टिविस्ट की HC में अपील- राजनीतिक अलोचना राजद्रोह नहीं

लक्षद्वीप की फिल्ममेकर और एक्टिविस्ट आयशा सुल्ताना ने केरल हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका डाली है.

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लक्षद्वीप की फिल्ममेकर और एक्टिविस्ट आयशा सुल्ताना (Aisha Sulthana) ने केरल हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका डाली है. प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को केंद्र सरकार का ‘बायोवेपन’ कहने पर आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है. लक्षद्वीप बीजेपी के प्रमुख सी अब्दुल कादर हाजी की शिकायत पर कावारत्ती पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था.

आयशा ने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को केंद्र सरकार का बायोवेपन कहा था, जो लक्षद्वीप पर इस्तेमाल किया गया है.
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जमानत याचिका में, फिल्ममेकर ने कहा कि उन्होंने 'बायोवेपन' वाली टिप्पणी कोविड प्रोटोकॉल में ढील देने वाले प्रशासन की आलोचना करने के संदर्भ में की थी, जिसके कारण द्वीप पर तेजी से महामारी फैली, जहां जनवरी 2021 में कोविड का एक भी केस नहीं था. आयशा ने आगे याचिका में कहा कि राजनीतिक मुद्दों की आलोचना, आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का अपराध नहीं है.

लक्षद्वीप में फिलहाल कोविड के 520 एक्टिव केस हैं और 44 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. 8 हजार से ज्यादा लोग बीमारी से रिकवर हो चुके हैं.

टीवी डिबेट के बीच दी थी विवादित टिप्पणी

कादर की शिकायत ‘MediaOne TV’ पर हाल में हुई एक डिबेट पर आधारित थी. ये डिबेट लक्षद्वीप में हाल में हुए कानूनी बदलावों को लेकर आयोजित की गई थी. इसी बहस में आयशा ने कहा कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल का इस्तेमाल एक बायोवेपन की तरह कर रही है. इस बयान के बाद लक्षद्वीप बीजेपी ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किए. बीजेपी ने आयशा के खिलाफ केरल में भी शिकायत की हैं.

गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री रह चुके प्रफुल पटेल को 5 दिसंबर 2020 यानी करीब 5 महीने लक्षद्वीप की जिम्मेदारी दी गई थी. अब लक्षद्वीप स्टूडेंट एसोसिएशन समेत यहां के कई छात्र संगठन और राजनीतिक दल प्रफुल पटेल की कई नीतियों को ‘जनविरोधी’ और ‘अधिनायकवादी’ बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि वो नेशनल मीडिया का भी ध्यान अपनी दिक्कतों की तरफ खींच सकें.

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