पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप जारी है. रोजाना देशभर में हजारों नए केस सामने आ रहे हैं. कई राज्यों में कुल मामलों की तादाद लाखों में पहुंच चुकी है. लेकिन, एक केंद्र शासित प्रदेश ऐसा है, जहां अभी तक एक भी संक्रमण का मामला नहीं आया है. ये जगह लक्षद्वीप है.
जहां देश में महामारी को फैले हुए सात महीने हो गए हैं, वहां सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में आज की तारीख तक आधिकारिक रूप से एक भी कोरोना वायरस का केस नहीं है.
36 द्वीपों के समूह लक्षद्वीप ने ऐसा क्या किया कि वो कोरोना वायरस मुक्त रहा? क्या वहां जीवन सामान्य ही रहा? और अगर संक्रमण का मामला लक्षद्वीप में आता है तो उसके लिए क्या मुश्किलें पैदा हो सकती हैं?
लक्षद्वीप कोरोना वायरस से कैसे बचा रहा?
लक्षद्वीप की जनसंख्या 64,000 से थोड़ी ही ज्यादा है. यहां कोरोना वायरस का कोई भी केस नहीं होने की वजह प्रभावी रूप से स्क्रीनिंग, टेस्टिंग और क्वॉरंटीन है.
लक्षद्वीप के मिन्कोय द्वीप के डॉक्टर मुनीर मनिकफान का कहना है कि यात्रियों की स्क्रीनिंग और घरेलू के साथ-साथ इंटरनेशनल टूरिज्म पर रोक जैसे कदम बहुत पहले शुरू हो गए थे.
डॉ मुनीर ने क्विंट को फोन पर बताया, "शुरुआती दौर में मार्च, अप्रैल और मई के दौरान मेनलैंड से लोग आ रहे थे. कई छात्र बाहर गए हैं, लोग काम की वजह से मेनलैंड पर गए थे, खासकर केरल में. इन लोगों को वापस लाना प्रशासन के लिए मुश्किल काम था.. और उन्होंने इसे अच्छे से किया."
प्रशासन के मुताबिक, समंदर और हवा के रास्ते यात्रा करने वाले लोगों की स्क्रीनिंग फरवरी की शुरुआत में ही शुरू हो गई थी. पूरे देश में सभी इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए स्क्रीनिंग 4 मार्च से शुरू हुई थी.
एंड्रोट द्वीप के निवासी और दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो में पत्रकार अब्दुल सलाम बताते हैं कि लक्षद्वीप प्रशासन ने शुरुआत में एक 'खतरा' उठाया था. ये 'खतरा' था लोगों को द्वीपों पर वापस लाने का और ये लॉकडाउन के ऐलान से पहले किया गया था.
लेकिन इस 'खतरे' का सकरात्मक प्रभाव हुआ. सलाम बताते हैं कि जब मेनलैंड में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने शुरू हुए, तब तक प्रशासन काफी लोगों को द्वीपों पर वापस ले आया था. इस बीच प्रशासन ने समय से टेस्टिंग को अनिवार्य बनाने और द्वीपों पर लोगों के लिए एंट्री पॉइंट सिर्फ कोच्चि पोर्ट तक सीमित करने जैसे कदम उठाए थे.
द्वीपों पर आने वाले लोगों के लिए कड़े क्वॉरंटीन नियमों की वजह से लक्षद्वीप पर एक भी कोरोना वायरस का केस नहीं है. इसके लिए पहले कोच्चि में सात दिन का क्वॉरंटीन और फिर जहाज पर चढ़ने से पहले कोरोना वायरस का टेस्ट शामिल था. लक्षद्वीप पहुंचने के बाद फिर यात्रियों के लिए 14 दिन का क्वॉरंटीन अनिवार्य था.
लक्षद्वीप में जिंदगी
जब देश में मार्च में 21 दिन का राष्ट्रीय लॉकडाउन हुए था, तो लक्षद्वीप के दो निवासियों ने बताया कि सरकार के आदेश का सख्ती से पालन हुआ था. कोई दुकान नहीं खुली थी और कोई यातायात का साधन नहीं चल रहा था.
अब बाकी देश की तरह लक्षद्वीप में भी कुछ ही प्रतिबंध हैं. हालांकि, देश के बाकी हिस्सों में कोरोना वायरस का खतरा अब भी बना हुआ है, लक्षद्वीप में ये न के बराबर है.
सलाम ने कहा, "द्वीपों में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. सिर्फ बड़ी बैठकों, 100 से ज्यादा लोगों पर प्रतिबंध है. छोटी बैठकों को इजाजत है और दुकानें खुल रही हैं."
अगर लक्षद्वीप में आगे कोई केस आता है?
अगर ऐसा होता है तो सलाम का कहना है कि सफलता के एकदम उलट नतीजा होगा. सलाम ने क्विंट से कहा, "कहानी उलटी हो जाएगी. लोग आसानी से कहीं जा नहीं पाएंगे. किसी न किसी तरह संक्रमण हो सकता है. यहां वायरस के आसानी से फैलने का खतरा है. अगर यहां केस आता है, तो इसमें कोई शक नहीं है कि ये जगह पूरी तरह शटडाउन हो जाएगी."
'न्यूनतम सुविधाओं' वाले हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, सीमित डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की वजह से चिंता और बढ़ जाती है. केंद्र शासित प्रदेश में सिर्फ तीन अस्पताल हैं, कुछ ही सामुदायिक स्वास्थ्य और प्राइमरी हेल्थ सेंटर हैं. कावारत्ती में इंदिरा गांधी अस्पताल के तहत 30 बेडों को कोरोना वायरस मरीजों के लिए रखा गया है.
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड कर कुछ द्वीपों में स्पेशलाइज किया गया है... लेकिन ये सिर्फ शुरुआत है... अगर कोरोना वायरस आता है तो उसे संभालना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए प्रशासन इससे बचाव के ज्यादा से ज्यादा प्रयास कर रहा है.डॉ मुनीर मनिकफान ने क्विंट से कहा
'कमियों' को लेकर डर
अब्दुल सलाम का कहना है कि लक्षद्वीप में अच्छी व्यवस्था के बाद भी कुछ कमियां मौजूद हैं. उन्होंने कहा, "लक्षद्वीप के लिए शिप क्रू का मैनजमेंट बड़ी चिंता है." सलाम का कहना है कि मेनलैंड से द्वीपों तक आने-जाने वाले क्रू की सख्ती से टेस्टिंग नहीं होती है.
कोरोना वायरस को रोकने के लिए जारी की गईं राष्ट्रीय स्तर की SOP में ढील दिया जाना भी चिंता का विषय है. सलाम का कहना है कि लक्षद्वीप को अपना सिस्टम और नियमों को फॉलो करना चाहिए, जो उसे कोरोना वायरस से बचाता आया है.
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