यूपी, हरियाणा, कर्नाटक के बाद अब बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश की तरफ से ऐलान हुआ है कि 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून लाया जाएगा. साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद कई आधिकारिक बयानों में इससे इनकार कर दिया गया कि लव जिहाद के केस की कोई परिभाषा है या इससे जुड़ा कोई आंकड़ा है. इन बयानों में संसद में दिया जवाब भी शामिल है. 'लव जिहाद' के बारे में ऐसी थ्योरी दी जाती है जिसमें दावा किया जाता है कि मुस्लिम शख्स साजिश करता है और किसी गैर-मुस्लिम से प्यार करने का दिखावा करता है, खासकर हिंदू महिलाओं से, जिससे उसका धर्म परिवर्तन कराया जा सके और मुसलमानों की आबादी बढ़े.
लेकिन साजिश के सबूत आखिर कहां है? न ही सरकारों के पास और न ही कोर्ट या एजेंसियों के पास ऐसे सबूत हैं जिससे इस दावे की पुष्टि की जा सके
यहां कुछ ऐसे उदाहरण गिनाते हैं-
रेखा शर्मा का ट्वीट फिर NCW ने कहा- ‘आंकड़े तो हैं ही नहीं’
20 अक्टूबर को NCW की चेयरपर्सन रेखा शर्मा के बारे में कमशीन के ऑफिशियल हैंडल से एक ट्वीट किया गया. इसमें लिखा गया कि रेखा शर्मा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से 'लव जिहाद के बढ़ते हुए केस' समेत कई मुद्दों पर बातचीत की है.
इसके तीन हफ्ते बाद, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनिकेत आगा ने आरटीआई के जरिए एनसीडब्ल्यू से लव जिहाद पर आंकड़े जानने चाहे थे. लेकिन एनसीडब्ल्यू लव जिहाद को लेकर कोई आंकड़ा नहीं बता सका. NCW का कहना है कि वो ऐसे आंकड़े अलग से नहीं रखता है.
आगा ने द क्विंट से बातचीत में कहा कि अगर किसी राज्य के राज्यपाल से एनसीडब्ल्यू की चेयरपर्सन लव जिहाद के केस पर बात करती हैं और NCW के पास इससे जुड़ा कोई डेटा नहीं है तो आखिर वो किस आधार पर दावे कर रही हैं?
17 नवंबर को क्विंट से बातचीत में रेखा शर्मा ने RTI के जवाब में कहा, "हमने बताया है कि हम लव जिहाद पर अलग से डेटा नहीं रखते हैं". ऐसा कहकर उन्होंने फोन रख दिया.
'कानून के तहत परिभाषित नहीं है लव जिहाद'
साल 2020 के फरवरी में संसद में एक सवाल पूछा गया लव जिहाद से जुड़ा. इसके जवाब में केन्द्रीय राज्य गृह मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, “'लव जिहाद' टर्म कानून के तहत परिभाषित नहीं है. किसी भी केन्द्रीय एजेंसी द्वारा ऐसा कोई भी केस रिपोर्ट नहीं किया गया है.” उन्होंने ये भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 नागरिकों को किसी भी धर्म को स्वीकार, प्रैक्टिस, और प्रचारित करने की स्वतंत्रता देता है. बशर्ते पब्लिक ऑर्डर, नैतिकता और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए ये किया जाए.
कानपुर 'लव जिहाद' केसों की SIT जांच
अगस्त 2020 में कानुपर में कथित 'लव जिहाद' केसों की जांच के लिए यूपी पुलिस ने 8 मेंबर्स की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम का गठन किया.
नवंबर में NDTV ने अपनी खास रिपोर्ट में दिखाया कि जांच के दायरे में आने वाले 14 केसों में से कम से कम 7 मामलों में पुलिस को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करनी पड़ी, इन मामलों में पाया गया कि ये ऐसे केस थे जिसमें मुस्लिम शख्स के साथ हिंदू लड़की ने अपनी सहमति से शादी की थी. इस रिपोर्ट में SIT इंचार्ज विकास पांडेय के हवाले से ये बताया गया था. बाकी मामलों में जांच जारी है.
हदिया के प्यार में 'जिहाद' नहीं था: NIA
2018 में सुप्रीम कोर्ट को हादिया केस में 'जबरदस्ती' धर्मपरिवर्तन कराए जाने का कोई सबूत नहीं मिला और सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया, इससे उसकी शादी रद्द हो गई. सर्वोच्च न्यायालय ने एनआईए से आतंकवादी एंगल से जांच जारी रखने को कहा और निर्देश दिया कि हादिया के मेरिटल स्टेटस पर कोई असर नहीं होना चाहिए. उसके बाद 'हादिया ने अपने पति शाफीन जहां से अपनी इच्छा से शादी की'
हादिया केस के परिणामस्वरूप- एनआईए की जांच में केरल राज्य में ही 11 ऐसे मामले सामने आए जिसमें एक धर्म से दूसरे धर्म में शादी की गई थी. लेकिन इन मामलों में भी जांच 2018 तक खत्म हो गई. ये बताया गया कि केरल में बड़े पैमाने पर जबरदस्ती शादी कराने का कोई सबूत नहीं मिला है.
'लव जिहाद' पर बीजेपी के नेताओं और सरकार की तरफ से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं हैं. एक तरफ संसद के जवाब में बताया गया कि लव जिहाद टर्म कानून के द्वारा परिभाषित नहीं है. साल 2014 में राजनाथ सिंह कह चुके है कि 'लव जिहाद क्या है? मुझे इसकी परिभाषा समझने की जरूरत है'.
वहीं दूसरी तरफ हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित 'लव जिहाद' पर राम नाम सत्य की धमकी तक दे डाली थी. उन्होंने कहा था- “सरकार भी फैसला ले रही है कि हम लव जिहाद को सख्ती से रोकने का काम करेंगे. एक प्रभावी कानून बनाएंगे. जो लोग छद्म वेश में, नाम छिपाकर बहन-बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, उन्हें मेरी चेतावनी है कि अगर वो सुधरे नहीं तो राम नाम सत्य है की यात्रा निकलने वाली है.”
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