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FCRA उल्लंघन मामले में केस दर्ज, ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ ने जताई नाराजगी

गृह मंत्रालय ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के खिलाफ की थी विदेशी चंदा(विनियमन) अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन की शिकायत

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विदेशी मदद हासिल करने में नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर सीबीआई की ओर से केस दर्ज कराए जाने पर एनजीओ ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ की प्रतिक्रिया आई है. एनजीओ के संस्थापक सदस्यों ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के खिलाफ सीबीआई की ओर से दर्ज कराए गए केस पर कहा है कि सरकार लॉयर्स कलेक्टिव और इसके सदस्यों को उन मामलों पर बोलने से रोकना चाहती है, जो उन्होंने उठाए हैं.

बता दें, सीबीआई ने गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की है. मंत्रालय ने एनजीओ को मिली विदेशी मदद के इस्तेमाल में कई विसंगतियां होने का आरोप लगाया है. सीबीआई ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के अध्यक्ष आनंद ग्रोवर और संगठन के अज्ञात पदाधिकारियों के अलावा अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

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‘आवाज दबाना चाहती है सरकार’

लॉयर्स कलेक्टिव की ओर से कहा गया है कि यह एफआईआर 'लॉयर्स वॉइस' की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद दर्ज कराई गई है. बयान में कहा गया है कि 'लॉयर्स वॉइस' में बीजेपी से जुड़े वकील भी शामिल थे. इनमें नीरज नाम के वकील भी शामिल थे, जो दिल्ली में बीजेपी की लीगल सेल के प्रमुख रह चुके हैं.

बयान में कहा गया है कि 'कलेक्टिव लॉयर्स' के पास यह विश्वास करने के कारण है कि उसके अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से मानवाधिकारों, धर्मनिरपेक्षता और सभी मंचों में न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बोलने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.

लॉयर्स कलेक्टिव ने सरकार पर लगाए आरोप

एनजीओ के संस्थापक सदस्यों ने सीबीआई की कार्रवाई पर हैरानी जताई है. जारी बयान में कहा गया है, ‘FIR पूरी तरह से फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट, 2010 के तहत कार्यवाही पर आधारित है. इस मामले में गृह मंत्रालय ने साल 2016 में लॉयर्स कलेक्टिव का रजिस्ट्रेश निलंबित करने और रद्द करने के आदेश थे, जिसे एनजीओ ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस अपील पर सुनवाई अभी भी लंबित है.’

बयान में कहा गया है, ‘उस समय भी, लॉयर्स कलेक्टिव ने बताया था कि इसके खिलाफ एफसीआरए की कार्यवाही इसलिए की गई थी क्योंकि इसके पदाधिकारियों ने मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी और भारत सरकार के बड़े नेताओं के खिलाफ संवेदनशील मामले उठाए थे. सोराबुद्दीन प्रकरण ऐसे ही संवेदनशील मामलों में से एक था.

FIR में इंदिरा जयसिंह का नाम नहीं

आनंद ग्रोवर पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह के पति हैं. हालांकि, सीबीआई ने इंदिरा जयसिंह को एफआईआर में आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया है, लेकिन मंत्रालय की शिकायत में उनके खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं. मंत्रालय की शिकायत अब प्राथमिकी का हिस्सा है.

क्या है पूरा मामला?

गृह मंत्रालय की शिकायत के अनुसार 2009 से 2014 तक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) के तौर पर इंदिरा जयसिंह ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ को मिले विदेशी चंदे से 96.60 लाख रुपये हासिल किए. इसमें यह भी कहा गया है कि ASG के तौर पर उनकी विदेश यात्राओं के लिए ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ ने धन मुहैया कराया. उन्होंने मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति के बिना ऐसा किया.

मंत्रालय की शिकायत के अनुसार एनजीओ को 2006-07 और 2014-15 के बीच 32.39 करोड़ रुपये की विदेशी सहायता मिली थी जिसमें अनियमितताएं की गईं जो विदेशी चंदा(विनियमन) अधिनियम (FCRA) का उल्लंघन है.

मंत्रालय ने कहा कि एनजीओ की उपलब्ध जानकारी और रिकॉर्डों की जांच के आधार पर FCRA, 2010 के विभिन्न प्रावधानों का प्रथम दृष्ट्या उल्लंघन पाया गया. मंत्रालय ने दावा किया कि जांच के दौरान पाए गए उल्लंघनों के आधार पर एनजीओ से जवाब मांगा गया था लेकिन उसे संतोषजनक उत्तर नहीं मिले. इसके बाद उसका FCRA रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया गया और कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.

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