बिहार में शराबबंदी ने भले ही शराबियों को मायूस कर दिया हो. लेकिन इस बंदी से चूहों की चांदी हो गई. 9 लाख लीटर से अधिक शराब गटक जाना, ये सिर्फ बिहार के चूहे ही कर सकते हैं!
जी हां, बिहार पुलिस के एसएचओ का तो यही दावा है.
लेकिन खबर तो ये भी आ रही है कि वहां पुलिस वाले शराबबंदी के बावजूद नशे में धुत दिख रहे हैं. शराब गटकने का आरोप तो चूहों पर है और गिरफ्तारी का सिलसिला पुलिसवालों के साथ शुरु हो गया है! अब ऐसे में 9 लाख लीटर से अधिक शराब किसने गटकी, इसपर सवाल उठाया जा सकता है.
थाना प्रभारी शराब गटकने के आरोप में गिरफ्तार
बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष निर्मल सिंह की शराब पीने के आरोप में गिरफ्तारी के 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि मुजफ्फरपुर जिले के काजी मोहम्मदपुर थाना के प्रभारी को शराब गटकने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. थाना प्रभारी रामेश्वर सिंह गुरुवार की रात वर्दी में थाने के अंदर बैठकर शराब पी रहे थे.
इसकी सूचना जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को मिली तो उन्होंने मामले पर संज्ञान लेते हुए तत्काल कारवाई कर सिंह को शराब के नशे में धुत गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित भी कर दिया गया.
इस बीच गिरफ्तार थाना प्रभारी ने ये खुलासा भी किया कि मुजफ्फरपुर के कई थाना क्षेत्रों में अवैध शराब का धंधा जोरों पर है.
शराब थाना के मालखाने से गायब
इससे पहले बुधवार की रात को राजधानी पटना में बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष निर्मल सिंह सहित दो पुलिसकर्मियों को शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
वहीं बिहार में जब्त की गई शराब थाना के मालखाने से गायब होती जा रही हैं. पिछले साल 5 अप्रैल को बिहार में शराबबंदी लागू किए जाने के बाद राज्य के अलग-अलग हिस्सों से 5.11 लाख लीटर अंग्रेजी, 3.01 लाख लीटर देशी और 12,000 लीटर बीयर सीज की गई है. जब्त की गई शराब संबंधित थानों के मालखानों में रखी गई थी. पुलिस अधिकारियों का तर्क था कि शराब चूहे पी जा रहे हैं.
इस तर्क के बाद पुलिसकर्मियों के शराब के नशे में गिरफ्तार होना कई सवाल खड़े कर रहा है. फिलहाल, बिहार पुलिस मुख्यालय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
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