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2019 से पहले बिहार के सियासी समीकरण हैं NDA के लिए खतरे की घंटी

एनडीए और महागठबंधन की पार्टियों के अलग-अलग आंकड़े क्या कहते हैं? 2019 लोकसभा चुनाव पर कैसे होगा असर

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भारत
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रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के आंख दिखाने के बाद बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया है. पासवान की पार्टी एलजेपी को 06 सीट दी गईं हैं और 1 राज्यसभा का टिकट भी मिला है. इस टिकट बंटवारे में रामविलास पासवान फ्रंटफुट पर नजर आए. वहीं हर राज्य में सहयोगियों के साथ 'बिग ब्रदर' का रवैया दिखाने वाली बीजेपी बैकफुट पर. क्योंकि बीजेपी को पता है कि पासवान चुनावी मौसम को भांपने के 'बाहुबली' हैं. साथ ही उनका अपना फिक्स्ड वोटर बेस है. जिसे वो गठबंधन में अपने साथ लाते ले जाते रहे हैं.

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इसी सीट बंटवारे में 2014 में 22 सीटों पर जीती बीजेपी ने महज 17 सीटों से संतोष कर लिया है और 2014 में सिर्फ 02 सीट जीत पाई नीतीश पार्टी को 17 सीट मिले हैं.

अब ये भी साफ हो गया है कि एनडीए और महागठबंधन की तरफ से क्या जातीय समीकरण होंगे और कौैन-कौन सी पार्टियां अपना दम-खम ठोंकने जा रही हैं-

ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, जानते हैं कि

  • एनडीए और महागठबंधन की पार्टियों के अलग-अलग आंकड़े क्या कहते हैं?
  • RLSP के एनडीए से बाहर जाने से नीतीश कुमार के वोट बैंक को सीधा नुकसान क्यों होगा?
  • 'सन ऑफ मल्लाह' के महागठबंधन में शामिल होने से कितना फायदा होगा?
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महागठबंधन Vs एनडीए

एनडीए और महागठबंधन की पार्टियों के अलग-अलग आंकड़े क्या कहते हैं? 2019 लोकसभा चुनाव पर कैसे होगा असर
एनडीए और महागठबंधन की पार्टियों के अलग-अलग आंकड़े क्या कहते हैं? 2019 लोकसभा चुनाव पर कैसे होगा असर

एक बात ध्यान देने की जरूरत है कि ये सिर्फ आंकड़े हैं. जो 2014 लोकसभा चुनाव के वक्त पार्टियों और जातियों के समीकरण पर आधारित हैं और उस चुनाव से अबतक ये पूरी तरह से बदल चुके हैं. जैसे

  • जेडीयू ने 2014 में अकेले चुनाव लड़ा था और सिर्फ दो सीटों पर ही जीत मिल पाई थी, वोट शेयर था 16%.
  • एलजेपी, एनडीए में ही थी और  6.5% वोट शेयर के साथ 6 सीट पार्टी ने अपने नाम की थी.
  • उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी भी एनडीए में थी और 3 सीट उसके पास थे.
साफ है कि तस्वीर बदल गई है और पार्टियां भी गठबंधन के खांचे में इधर-उधर फिट हो गए हैं. फिलहाल की बात करें तो 2014 के हिसाब से एनडीए के पास कुल 52.5% वोट शेयर दिखता है और कांग्रेस के पास 31.5%.
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M-Y का मेल, एनडीए का बिगाड़ देगा खेल?

लेकिन एनडीए के इस बड़े आंकड़े का खेल MY यानी 'मुस्लिम-यादव' समीकरण बिगाड़ सकता है. बिहार में करीब 13 फीसदी यादव और 17 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. और जिन सीटों पर इनकी आबादी ज्यादा है वहां जीत-हार भी यही समुदाय तय करेंगे. उदाहरण के तौर पर अररिया, भागलपुर, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया जैसी लोकसभा सीटों पर यादव और मुस्लिम वोटर 50 फीसदी से ज्यादा हैं. महागठबंधन के लिए खास ये है कि लालू यादव की पार्टी आरजेडी का वोट शेयर चुनाव दर चुनाव 20% के करीब रहा है. इनमें बड़ी संख्या यादव वोटरों की रही है.

नीतीश के वोटर बेस में सेंध लगा सकते हैं कुशवाहा

एनडीए और महागठबंधन की पार्टियों के अलग-अलग आंकड़े क्या कहते हैं? 2019 लोकसभा चुनाव पर कैसे होगा असर
नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा
(फोटो: Twitter)

RLSP चीफ उपेंद्र कुशवाहा जो अब महागठबंधन में आ गए हैं, उनकी सबसे बड़ी चिंता थी कुर्मी-कोईरी वोट बैंक. जिस वोट बैंक पर नीतीश कुमार का भी दावा है और इसपर कुशवाहा भी अपना दम खम दिखाते हैं. नीतीश कुर्मी समाज से हैं जिसका वोट शेयर करीब 3 फीसदी का है वहीं कुशवाहा कोइरी समाज से हैं जिसका वोट फीसदी करीब 6 फीसदी है. अब महागठबंधन में शामिल होने के बाद कुशवाहा कुछ हद तक कोईरी वोट नीतीश के पाले से खींचकर महागठबंधन की तरफ ला सकते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक, बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से 18 सीट पर कोईरी समुदाय के वोट 2.5 लाख से भी ज्यादा हैं.

मांझी-साहनी क्यों हैं महागठबंधन के लिए फायदेमंद?

महादलित समुदाय के चेहरे और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी भी अब महागठबंधन के ही पाले में हैं और तेजस्वी ने अब निषाद वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए मुकेश साहनी को भी अपने साथ जोड़ लिया है. मुकेश साहनी वही नेता हैं जो बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह के साथ कई सभाओं में नजर आए. बीजेपी ने उन्हें जोर-शोर से प्रमोट भी किया था. उन्हें सन ऑफ मल्लाह के नाम से भी जाना गया. लेकिन अब ये महागठबंधन में शामिल होकर बीजेपी को उखाड़ फेंकने का दावा करते दिख रहे हैं

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