धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज की दीवारें पीएम मोदी के पोस्टरों से सजी हैं. 15 जनवरी से शुरू हो रहे कुंभ में हर तरफ पीएम मोदी की तस्वीर नजर आ रही है. शहर में एंट्री से लेकर संगम के तट तक कुंभ 'मोदीमय' है. 'इवेंट मैनजमेंट सीखना है तो बीजेपी से सीखो', कुंभ में भी इस बार कुछ ऐसा ही हो रहा है. क्योंकि चाहे वो नगर निगम का मामूली सा चुनाव जीतने के बाद का भव्य जश्न हो या फिर जीएसटी लागू होने के पर जगह-जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उसे सही बताना. ये सब मैनजमेंट ही है, सब कुछ बड़ा दिखाने का मैनजमेंट. ताकि संदेश दूर तक जाए.
राम मंदिर मुद्दे पर संत समाज की नाराजगी झेल रही बीजेपी इस बार कुंभ के जरिए सियासी डुबकी लगाकर सत्ता का प्रसाद पाने की कोशिश में लगी है.
दरअसल, राम मंदिर पर अध्यादेश नहीं लाने और कोर्ट के फैसले के इंतजार करने वाले पीएम मोदी के बयान के बाद बीजेपी बैकफुट पर है, ऐसे में बीजेपी कुंभ को बड़ा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. अर्धकुंभ को कुंभ का दर्जा देकर पहले ही मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ये संदेश देने में जुटी है कि हिंदू धर्म का सबसे बेहतर ध्यान हम रख सकते हैं. इसीलिए तो कुंभ के आयोजन की पहली बार इस तरह की ब्रांडिंग की जा रही है, इसे दिव्य और भव्य कुंभ का नारा दिया गया है.
कामों का प्रचार, क्या दिलाएगा वोट?
पीएम मोदी ने दिसंबर 2018 में ही संगम दर्शन और पूजा किया था, साथ ही जनसभा को संबोधित कर अपनी पार्टी के लिए 2019 के चुनाव का शंखनाद भी कर दिया था. पीएम मोदी ने इस दौरान 4048 करोड़ रुपये की 366 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया था. लेकिन अब उसी परियोजनाओं का बखान भी इसी कुंभ में पोस्टर लगाकर किया जा रहा है. जगह-जगह बड़े बड़े पोस्टर लगे हैं, जिसमें लिखा है, "कुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधाओं एवं प्रयागराज के विकास हेतु 4048 करोड़ रुपये की 366 परियोजनाओं का लोकार्पण/ शिलान्यास नरेंद्र मोदी के कर कमलों द्वारा", इस पोस्टर की खास बात ये है कि ये पोस्टर पीएम मोदी के 16 दिसंबर के कार्यक्रम से पहले लगे थे, लेकिन एक महीने बाद भी ये सही सलामत अपनी जगह पर टिका है. या फिर इसे सही सलामत रखा गया है ताकि आने वाले करोड़ों लोगों को पता चल सके कि पीएम मोदी ने हिंदुओं के आस्था का कितना ख्याल रखा है.
योगी और मोदी के पोस्टर में बराबर की लड़ाई
ऐसे यहां अकेले पीएम मोदी का पोस्टर नहीं लगा है बल्कि सीएम योगी आदित्यनाथ भी रेस में हैं. अब जिस प्रदेश में कुंभ हो वहां के मुखिया की फोटो भला कैसे ना लगे. ऐसे तो ये कोई नियम नहीं है कि किसी पोस्टर पर प्रधानमंत्री की तस्वीर सबसे बड़ी हो और दूसरे मंत्रियों की फोटो छोटी, लेकिन अमूमन जो जितने बड़े कद का नेता उसकी फोटो उतनी बड़ी फोटो रहती है. लेकिन कुंभ में पीएम मोदी और योगी की फोटो बराबर साइज की ही देखने को मिल रही है. और राजनीति में ऐसे छोटी छोटी सांकेतिक बातें बहुत कुछ संदेश देती हैं.
2019 का चुनाव नजदीक है, राम मंदिर का मामला भी कोर्ट में अटका है, किसान और रोजगार के मुद्दे भी बीजेपी को सता रही हैं, ऐसे में विरोध ज्यादा बढ़ जाए इससे पहले हिंदुत्व की आस्था के सबसे बड़े प्रतीक का मेगा शो बनाकर बीजेपी अपने हिंदूवादी होने का तमगा बरकरार रखना चाहती है. लेकिन ये ब्रांडिंग और मैनजमेंट प्लानिंग बीजेपी को वोट दिला पायेगा ये कहना मुश्किल है.
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