लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के नतीजों के बाद अब एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट भी सामने आई है. इस रिपोर्ट के अनुसार, 543 नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों में से 251 (46 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और उनमें से 27 को दोषी ठहराया गया है.
ADR रिपोर्ट में क्या है?
रिपोर्ट के अनुसार, निचले सदन में चुने जाने वाले आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों की यह सबसे बड़ी संख्या है. कुल 233 सांसदों (43 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे, जबकि 2014 में 185 (34 प्रतिशत), 2009 में 162 (30 प्रतिशत) और 2004 में 125 (23 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हैं.
विश्लेषण के अनुसार, 2009 से घोषित आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
सांसदों पर क्या केस दर्ज?
इस साल जीतने वाले 251 उम्मीदवारों में से 170 (31 प्रतिशत) पर रेप, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध सहित गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. विश्लेषण से पता चला कि यह 2019 में 159 (29 प्रतिशत) सांसदों, 2014 में 112 (21 प्रतिशत) सांसदों और 2009 में 76 (14 प्रतिशत) सांसदों की तुलना में भी वृद्धि है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2009 से गंभीर आपराधिक मामले घोषित करने वाले सांसदों की संख्या में 124 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
ADR रिपोर्ट में विजयी उम्मीदवारों के विशेष मामलों पर भी प्रकाश डाला गया है. 27 विजयी उम्मीदवारों ने घोषित किया है कि उन्हें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है, चार ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हत्या से संबंधित मामले घोषित किए हैं, और 27 ने आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास से संबंधित मामले घोषित किए हैं.
15 विजयी उम्मीदवारों ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध से संबंधित मामलों की घोषणा की है, जिनमें से दो पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत रेप का आरोप है.
इसके अतिरिक्त, चार विजयी उम्मीदवारों ने अपहरण से संबंधित मामले घोषित किए हैं और 43 ने हेट स्पीच से संबंधित मामले घोषित किए हैं.
विश्लेषण में पाया गया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में घोषित आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों के जीतने की संभावना 15.3 प्रतिशत है, जबकि बेदाग छवि वाले उम्मीदवारों के लिए यह संभावना केवल 4.4 प्रतिशत है.
किस दल के कितने प्रतिशत सांसदों पर केस?
एडीआर के अनुसार, 18वीं लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी के 240 विजयी उम्मीदवारों में से 94 (39 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
कांग्रेस के 99 विजयी उम्मीदवारों में से 49 (49 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं और समाजवादी पार्टी के 37 उम्मीदवारों में से 21 (45 प्रतिशत) पर आपराधिक आरोप हैं.
टीएमसी के 29 में से 13 (45 प्रतिशत), डीएमके के 22 में से 13 (59 प्रतिशत), टीडीपी के 16 में से आठ (50 प्रतिशत) और शिवसेना के सात विजयी उम्मीदवारों में से पांच (71 प्रतिशत) ने आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
विश्लेषण में पाया गया कि 63 (26 प्रतिशत) बीजेपी उम्मीदवार, 32 (32 प्रतिशत) कांग्रेस उम्मीदवार और 17 (46 प्रतिशत) समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
इसमें कहा गया है कि सात (24 प्रतिशत) टीएमसी उम्मीदवार, छह (27 प्रतिशत) डीएमके उम्मीदवार, पांच (31 प्रतिशत) टीडीपी उम्मीदवार और चार (57 प्रतिशत) शिवसेना उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.
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