केंद्र सरकार के तीन अध्यादेशों को संसद में पास कराने को लेकर देशभर में किसानों का प्रदर्शन जारी है. ये तीनों अध्यादेश कृषि से जुड़े हैं. लेकिन तमाम विरोध के बाद भी सरकार इन्हें पास कर रही है. अब सरकार ने लोकसभा में कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश यानी Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance 2020 बिल पास कर दिया है.
बता दें कि इस कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश के तहत किसान अपनी तैयार फसलों को कहीं भी किसी भी व्यापारी को बेच सकता है. उसे अपने क्षेत्र की APMC मंडी में अपनी फसल बेचने की मजबूरी नहीं होगी. सरकार इसे एक देश एक बाजार के रूप में सामने रख रही है.
इन तीनों कृषि अध्यादेशों को लेकर बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने भी मोर्चा खोल दिया है.
अकाली दल की सांसद और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने विरोध में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. वहीं पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संसद में बीजेपी सरकार को इन अध्यादेशों को लेकर जमकर खरी खोटी सुनाई.
बादल ने संसद में कहा कि हम एनडीए के साथी हैं, इसीलिए हमने पिछले दो महीने में कई बार किसानों के इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाया. हमने हर फोरम पर इसे उठाया, लेकिन इसके बाद भी ये बिल संसद में लाया गया. इसीलिए हमने फैसला लिया कि हम किसानों के खिलाफ जो बिल है, हम उसके साथ नहीं खड़े हो सकते हैं.
पीएम मोदी बोले- किसानों को किया जा रहा भ्रमित
कृषि विधेयकों को लेकर हो रहे प्रदर्शन और विरोध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि कई शक्तियां किसानों को भटकाने का काम कर रही हैं. पीएम ने ट्विटर पर लिखा.
“किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं. मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी. ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं. #JaiKisan. इस कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नए-नए अवसर मिलेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा. इससे हमारे कृषि क्षेत्र को जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, वहीं अन्नदाता सशक्त होंगे."
क्या कहते हैं किसान संगठन?
इस कृषि अध्यादेशों को लेकर हरियाणा, पंजाब, मेरठ, शामली, उत्तराखंड, बिजनौर समेत कई जगहों से आए किसानों ने प्रदर्शन किया और दिल्ली पहुंचने के लिए मार्च निकाला. हालांकि सभी किसानों को बॉर्डर पर ही रोक दिया गया. इस दौरान कई जगहों पर किसानों पर लाठीचार्ज भी किया गया. भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि, "किसानों को इन कानूनों के कारण कंपनियों का बंधुवा बन जाने का खतरा है. कृषि में कानून नियंत्रण, मुक्त विपणन, भंडारण, आयात-निर्यात, किसान हित में नहीं है. इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं. देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इंडिया कम्पनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गये थे."
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