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12 साल से छोटी बच्चियों से रेप पर सजा-ए-मौत वाला बिल लोकसभा से पास

12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के अपराध में मौत तक की सजा देने के प्रावधान वाले बिल को लोकसभा ने मंजूरी दे दी.

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भारत
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देश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के अपराध में मौत तक की सजा देने के प्रावधान वाले एक बिल को सोमवार को लोकसभा ने मंजूरी दे दी. इसी बिल में 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के अपराध में दोषियों के सख्त सजा का प्रावधान है. लोकसभा ने बिल पर कुछ सदस्यों को संशोधनों को खारिज करते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया.

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रेप पर और सख्त होंगे कानून

बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पिछले कुछ समय में बलात्कार की कई घटनाएं सामने आई हैं जिसने देश को झकझोर दिया है. ऐसे जघन्य अपराध के खिलाफ सख्त प्रावधानों वाला ये बिल लाया गया है. इसमें 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के खिलाफ ऐसे अपराध और 16 साल से कम उम्र की बालिकाओं के खिलाफ ऐसे अपराध के सिलसिले में कड़े दंड का प्रावधान किया गया है.

मंत्री ने कहा कि अध्यादेश लाना इसलिए जरूरी समझा गया क्योंकि जब देशभर में छोटी बच्चियों के साथ जघन्य दुष्कर्म की वारदातें सामने आ रही थीं तो सरकार चुप नहीं रह सकती थी. उस समय संसद सत्र भी नहीं चल रहा था इसलिए अध्यादेश लाया गया. रिजिजू ने कहा कि हमारी सरकार इस बिल के सख्त प्रावधानों को लागू करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. सरकार की प्राथमिकता होगी कि हर मामले में न्याय हो.

न्यूनतम सजा को भी बढ़ाने का प्रावधान

उन्होंने बताया कि बिल में 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के अपराध के लिए सजा को 7 साल के कम से कम सजा से बढ़ाकर 10 साल करने का प्रावधान किया गया है और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है. सोलह साल से कम आयु की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 साल से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा. इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को बाकी की जिंदगी जेल में गुजारनी होगी और जुर्माना भी देना होगा. 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 साल से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा.

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2 महीने के भीतर जांच

इसमें कहा गया है कि बलात्कार के सभी मामलों के संबंध में जांच थाने में जानकारी देने से दो महीने के भीतर पूरी की जाएगी. बलात्कार के अपराध के मामलों में दोष साबित करने या इसके खिलाफ अपील का, उसे फाइल किए जाने की तारीख से 6 महीने के समय के बीच ही निपटारा करना होगा. उन्होंने ये भी कहा कि जांच और आरोप तय करने में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों को सजा देने के भी प्रावधान किए गए हैं.

सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलेगा: रिजिजू

रिजिजू ने कहा कि वो मानते हैं कि केवल कानून बनाने से काम नहीं चलेगा. सख्त प्रावधान जरूरी हैं लेकिन उनको लागू करना भी जरूरी है. एजेंसियों और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि अब संशोधन के बाद प्रावधान बनाया गया है कि 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ जघन्य अपराध के आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी. सभी थानों में खास फोरेंसिक किट रखने का भी प्रस्ताव है.

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