शेयर बाजार में निवेशकों की भारी कमाई पर वित्तमंत्री की नजर पड़ ही गई. शेयर की कमाई को अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में ले आया गया है. यानी अगर शेयर एक साल के बाद बेचा जाता है, तो उस पर टैक्स लगेगा.
वित्तमंत्री अरुण जेटली के मुताबिक, 1 लाख रुपये से ज्यादा कमाई पर 10 परसेंट कैपिटल गेंस टैक्स देना पड़ेगा.
31 जनवरी 2018 के पहले की कमाई पर ये टैक्स नहीं लगेगा.
सरकार को उम्मीद है इस तरीके से 2018-19 में करीब 20 हजार करोड़ रुपए की कमाई होगी.
म्यूचुअल फंड भी निवेशकों को जो कमाई डिस्ट्रिब्यूट करेंगे उस पर भी 10 परसेंट टैक्स लगेगा. दोनों बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा:
2017-18 में लॉन्गटर्म कैपिटल गेंस में 3.67 लाख करोड़ रुपए की रकम छूट के दायरे में थी.लॉन्ग टर्म गेंस टैक्स लगने के बाद भी शेयर बाजार में निवेश आकर्षक बना रहेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी अगर साल भर के अंदर कोई शेयर बेचता है तो उस पर हुई कमाई पर 15 परसेंट टैक्स ही लगेगा.
शेयर बाजार की कमाई पर लॉन्ग टर्म टैक्स उम्मीद के मुताबिक ही था. इससे बाजार की चाल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बाजार नई हकीकत के साथ जीना जल्द ही सीख लेगा. मुझे नहीं लगता कि इससे निवेश पर किसी तरह का कोई असर होगा.नीलेश शाह, सीईओ, एनविजन कैपिटल
डीबीएस ग्रुप रिसर्च के चीफ इकनॉमिस्ट तैमूर बेग के मुताबिक “ यह कोई बड़ी बात नहीं है. अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर 10 परसेंट टैक्स बहुत ज्यादा नहीं है.''
शेयर बाजार कुछ वक्त के लिए दबाव में रहेगा, लेकिन धीरे धीरे निगेटिव असर खत्म हो जाएगा. दूसरे कई देशों में इस तरह का टैक्स लगने लगा है. इससे सरकार की कमाई भी बढ़ी है, लेकिन वहां के बाजारों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स क्यों?
2005 तक शेयर बाजार की कमाई पर लॉन्ग टर्म गेंस टैक्स लगता था, लेकिन शेयर बाजार में लोगों की दिलचस्पी और भागीदारी बढ़ाने के लिए इसे हटा लिया गया था. हाल के दिनों में रिटेल निवेशकों ने बड़े पैमाने पर बाजार में निवेश करने लगे हैं.
शेयर बाजार में औसतन निवेश हर महीने करीब 1 अरब डॉलर है. म्यूचुअल फंड फोलियो की तादाद 2017 में 1.37 करोड़ बढ़ोतरी हुई है, अब ये 6.65 करोड़ पहुंच गई है.
शेयर की खरीद-फरोख्त पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स पहली की तरह लगता रहेगा.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाने के पीछे सरकार की मंशा ये भी थी कि उससे टैक्स और जीडीपी का अनुपात बेहतर किया जा सकेगा.
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