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‘लव जिहाद’ पर कानून विजिलांटी गिरोहों को बना रहे और ताकतवर

मर्जी से शादी का रिश्ता बनाने वाले नौजवानों को उत्तर प्रदेश का निजाम चलाने वाले बेइज्जात कर रहे हैं

Published
भारत
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उत्तर प्रदेश में लव जिहाद नाम के एक नए अपराध की रचना कर दी गई है. इस सिलसिले में एक अध्यादेश लाया गया है जिसमें धर्म बदलने से पहले सरकार को इसकी जानकारी देना जरूरी है. खास बात ये है कि इस नए कानून में शादी के लिए धर्म बदलना, या धर्म बदलकर शादी करना, दोनों अपराध हैं. इस पूरे रिवाज से पहले सरकार को महीनों पहले सूचना देनी जरूरी है. अब अपनी मर्जी से शादी का रिश्ता बनाने वाले नौजवानों को उत्तर प्रदेश का निजाम चलाने वाले बेइज्जात कर रहे हैं. खास तौर से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. पिछले नौ दस दिनों में इस कानून के तहत आधे दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.

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बीजेपी खुद विजिलांटी ग्रुप्स को लेजिटिमाइज कर रही है

इन मामलों में खास बात क्या है? खास बात यह है कि इन मामलों में पुलिस तब सक्रियता दिखाती है, जब धर्म का झंडा बुलंद करने वाला गिरोह यानी विजिलांटी ग्रुप प्रशासन को इसकी सूचना देता है. ऐसे समूह हर जगह हैं, पर उत्तर प्रदेश में और सक्रिय हो गए हैं. हाल ही में लखनऊ में एक शादी को रोकने वाले ऐसे ही एक समूह का नाम राष्ट्रीय युवा वाहिनी है. इस शादी में मियां बीबी के अलावा, घर परिवार वाले भी राजी थे. हिंदू रीति रिवाज से ब्याह हो रहा था. लेकिन संगठन को ऐतराज था.

अब उत्तर प्रदेश के नए अध्यादेश के जरिए इन संगठनों को सही ठहराया गया है. सरकार ने विजिलांटी ग्रुप्स की छड़ी अपने हाथ में थाम ली है. पुलिस इस काम में उसकी मदद कर रही है.
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गो तस्करी के नाम पर निर्दोषों को सजा

बीजेपी सरकारें हर जगह ऐसे विजिलांटी संगठनों को प्रोत्साहित करती रही हैं. उत्तर प्रदेश सरकार का नया कानून ऐसे ही कानूनों की श्रृंखला की नई कड़ी है जो एक समूह विशेष के प्रभुत्व को स्थापित करते हैं. इसी तर्ज पर पहले गो संरक्षण कानून लाए गए. हरियाणा में पुलिस फोर्स में ही काऊ टास्क फोर्स का गठन किया गया. ये टास्क फोर्स लोगों से मिलने वाली सूचना के आधार पर छापे मारती है. मवेशियों की ‘तस्करी’ करने वालों को धरती है. तस्करी के नाम पर कितने ही मुसलमानों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. तिस पर विनय कटियार जैसे नेता कहते हैं, गो हत्या होगी तो मॉब लिंचिंग भी होगी. बीजेपी के जयंत सिन्हा जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री झारखंड में मॉब लिंचिंग के आरोपियों को माला पहनाते हैं.

महाराष्ट्र की पूर्व देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने गोहत्या पर प्रतिबंध पर नजर रखने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को आइडेंटिटी कार्ड देने के लिए विज्ञापन छापा था जिसमें हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े सैकड़ो लोगों ने अर्जी दी थी. ये सब विजिलांटी ग्रुप्स को जायज ठहराना ही है.
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इसी तरह उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाया गया जो छेड़छाड़ करने वालों की धर पकड़ करने का दावा करता था लेकिन इसमें भी प्रेमी जोड़ों को जमकर निशाना बनाया गया. इस अभियान में हिंदू युवा वाहिनी नामक संगठन के सदस्य काफी सक्रिय थे जिसे 2002 में खुद योगी आदित्यनाथ ने बनाया था.

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ये विजिलांटी समूह कैसे अस्तित्व में आए

उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून से पहले लव जिहाद का खूब जिक्र हुआ है. अब इस पुरानी शराब के लिए नई बोतल तलाशी गई है. 2007 में गुजरात में पहली बार यह खयाल सुनाई दिया था. इसके बाद 2009 में कर्नाटक और केरल में इसे उछालने वाला संगठन था, श्रीराम सेना. इसके प्रमुख प्रमोद मुथालिक कभी आरएसएस में हुआ करते थे.

इसके बाद 2014 में जब बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई तो आरएसएस की साप्ताहिक पत्रिकाओं ऑर्गेनाइजर और पांचजन्य ने ‘लव जिहाद’ पर अपनी कवर स्टोरी निकालीं. पांचजन्य ने कैफियाह बांधे और चश्मा लगाए एक अरब की फोटो छापी और उसके नीचे लिखा था प्यार अंधा या धंधा. इसके बाद श्रीराम सेना का महत्व ही बढ़ गया.
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2014 के बाद से गाय बचाने के नाम पर स्वयंभू समूहों की गुंडागर्दी और हिंसा बढ़ती गई. वैसे मवेशियों की हत्या देश के अधिकतर राज्यों में प्रतिबंधित है. लेकिन फिर भी स्वयंभू संगठन कानून को हाथ में लेने लगे. रॉयटर्स की रिपोर्ट कहती है कि 2010 से 2017 के बीच देश में ऐसे संगठनों ने लगभग 63 हमले किए. अधिकतर 2014 में बीजेपी के सत्ता संभालने के बाद हुए. इनमें 28 लोग मारे गए जिनमें से 24 मुसलमान थे. इसके अलावा 124 लोग घायल भी हुए. दिल्ली एनसीआर में ऐसे 200 ग्रुप्स हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की 2016 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वे सड़कों पर जाते ट्रकों को रोकते हैं, ‘अपराधियों’ को पीटते हैं और जरूरत पड़ने पर ट्रकों को आग लगा देते हैं. ऐसे विजिलांटी समूहों का इनफॉर्मर्स का अपना एक नेटवर्क होता है. सोशल मीडिया की मदद से ये सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं.

हालांकि 2017 में सुप्रीम कोर्ट कई राज्य सरकारों से पूछ चुका है कि क्या इन विजिलांटी समूहों पर प्रतिबंध लगाया जाए लेकिन फिर भी राज्यों की तरफ से कोई पहल नहीं हुई. इन राज्यों में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.
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नए कानून से हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को मिल रही है जमीन

इसी उत्तर प्रदेश में अब धर्मांतरण विरोधी कानून लाया गया है, और इस तरह एक पैरलल स्टेट बनाया जा रहा है. यह पैरलल स्टेट हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को जमीन देता है. ये कानूनी स्तर पर खड़ा नहीं किया जा सकता, इसीलिए कानून लाकर उसे ताकतवर बनाया जा रहा है. नए पावर स्ट्रक्चर में उनकी खास हिस्सेदारी है. इस पर पिछले साल एक किताब आई थी- "मेजोरिटेरियन स्टेट- हाऊ हिंदू नेशनलिज्म इज चेजिंग इंडिया". इसे अंगना पी चैटर्जी, थॉमस ब्लोम हैनसेन और क्रिस्टफ जेफ्रेलो ने संपादित किया है. इसमें बताया गया है कि कैसे हिंदू राष्ट्रवाद पूरे भारत को बदलने की कोशिश कर रहा है. कैसे मुसलमानों को पब्लिक स्फेयर से हटाया जा रहा है. खुले में नमाज से पढ़ने से लेकर, रियल ऐस्टेट खरीदने तक से रोका जा रहा है. पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून से भी यही जाहिर होता था. अब इंटरफेथ शादियों पर पाबंदी लाने के लिए ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने भी इसे लेकर विचार कर रही है.

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यूं ऐसे विजिलांटी समूह और फिर कानून इसीलिए लोकप्रियता हासिल करते हैं क्योंकि अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को लेकर एक गांठ इस देश की बहुसंख्या में है. फिलहाल वह गांठ और कसी जा रही है, इस ‘षडयंत्रकारी महजब’ से बचाने के नाम पर. हाल ही में एक ज्वेलरी ब्रांड के ऐड को हटाकर ये साबित कर दिया गया था कि इस देश मे हिंदू मुसलमान प्रेम का विचार ही पाप है. धीरे-धीरे समाज के तलछट में दबी अधोवृत्तियां खदबदाकर सतह पर आने लगी हैं. इस तरह नए भारत का उदय हो रहा है जिसकी आस जगाई गई थी.

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