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LPG सिलेंडर के दाम में कटौती मोदी सरकार की कल्याणकारी सुधारों का भ्रम है

OMC की एलपीजी सिलेंडर की वास्तविक लागत में 400 रुपये और 200 रुपये की सब्सिडी में कमी करना सिर्फ छलावा है.

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भारत
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29 अगस्त को, नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) ने 14.2 किलोग्राम वाले LPG सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपये प्रति सिलेंडर (दिल्ली में) से घटाकर 903 रुपये प्रति सिलेंडर कर दिया. सरकार ने प्रति LPG सिलेंडर 200 रुपये की सब्सिडी की घोषणा की.

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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत आने वाले कुल 31 करोड़ घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं में से 9.6 करोड़ परिवारों को मौजूदा 200 रुपये के अलावा यह सब्सिडी मिलेगी, जिससे उनके लिए कीमत 703 रुपये प्रति सिलेंडर हो जाएगी.

हालांकि, इस फैसले का मकसद गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को खुश करना था. इसकी खुदरा महंगाई (अनुमानित ~.3 प्रतिशत) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है लेकिन इससे कई सवाल भी उठते हैं.

कुछ ज्वलंत सवाल

  1. क्या तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) के लिए LPG सिलेंडर की वास्तविक लागत/बाजार मूल्य 1,103 है?

  2. सरकार ने गैर-उज्ज्वला उपभोक्ताओं को 200 रुपये की सब्सिडी क्यों दी? क्या यह तेल और गैस प्रोडक्ट में मूल्य तय करने के सुधारों के अंत का प्रतीक है?

  3. क्या उज्ज्वला योजना के तहत 400 रुपये प्रति सिलेंडर सब्सिडी फ्री या, यदि वास्तविक लागत/बाजार भाव गिर गया था, तो क्या यह ' नेकनीयती' (राजकोषीय घाटे, लागतहीन फ्री बी) है?

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बाजार मूल्य में कटौती और LPG सब्सिडी का मुखौटा

13 फरवरी 2020 को जारी एक पीआईबी नोट में, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) ने बताया कि प्राथमिक एलपीजी की कीमत LPG के अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित की जाती है. सरकार एलपीजी उपभोक्ताओं को प्रशासनिक रूप से प्रदान की जाने वाली सब्सिडी तय करती है. यह तब प्रचलित एलपीजी सब्सिडी योजना ‘पहल’ के तहत करती थी.

उसी नोट पर, MoPNG ने बताया कि जनवरी 2020 के दौरान एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमत USD 448/प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर 567/मीट्रिक टन हो गई. इस वजह से घरेलू, गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 714 रुपये प्रति से बढ़ा दी गई थी और सिलेंडर की कीमतें 858.50 रुपये प्रति सिलेंडर कर दिया गया.

MPONG के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (पीपीएसी) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एलपीजी और अन्य पेट्रोलियम प्रोडेक्ट के मूल्य में बदलाव को ट्रैक और रिपोर्ट करता है. पीपीएसी की जुलाई 2023 स्नैपशॉट रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2023 में अंतरराष्ट्रीय एलपीजी की कीमत घटकर केवल USD 385/MT हो गई थी, जबकि औसत अंतरराष्ट्रीय कीमतें 2021-22 में USD 692.67/MT और 2022-23 में USD 711.50/MT थीं.

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की वेबसाइट पर डाले गए एलपीजी सिलेंडर मूल्य संशोधन डेटा से पता चलता है कि, दिल्ली के लिए, प्रति सिलेंडर कीमत 2020-21 के दौरान 719 - 819 रुपये, 2021-22 में 809- 949.50 रुपये के बीच रही. वहीं 2022-23 में कीमतें 1103 रुपये हो गई.

इस प्रकार, एलपीजी की कीमतें 1 मार्च 2023 को निर्धारित 1,103 रुपये प्रति सिलेंडर से कम नहीं की गई हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कीमतें 2022-23 में USD 711.50/MT के औसत से घटकर जुलाई 2023 में USD 385/MT हो गई हैं. इसमें कुल 45 प्रतिशत से अधिक की कमी है

OMC की एलपीजी सिलेंडर की वास्तविक लागत में 400 रुपये और 200 रुपये की सब्सिडी में कमी करना सिर्फ छलावा है.

एलपीजी की खपत हजार मीट्रिक टन में

स्रोत:  PPAC की जुलाई 2023 की स्नैपशॉट रिपोर्ट

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यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद 2022-23 में कुछ समय के लिए OMC को दिक्कतें हुईं. उनकी कमाई घटी. हालांकि, उन्होंने इस अंडर-रिकवरी की भरपाई कर ली है. पिछली दो तिमाहियों से अच्छा मुनाफा दर्ज किया है. OMC की एलपीजी सिलेंडर की वास्तविक लागत में 400 रुपये और 200 रुपये की सब्सिडी में कमी करना सिर्फ छलावा है.

यह कल्याणकारी नहीं, 'अपरिपक्व' कदम है

बजट से कैश या किसी दूसरे फॉर्म में गरीबों और कमजोरों को सरकार से मिलने वाली सहायता कल्याणकारी सब्सिडी होती है. यह अयोग्य और गैर-गरीबों के लिए मुफ्त होती है लेकिन बिना किसी राजकोषीय लागत के किसी के लिए भी ये फ्री में मिलने वाली चीज ही है.

जैसे कुपोषित परिवारों/व्यक्तियों को मुफ्त अनाज देना कल्याणकारी है, लेकिन गैर-कुपोषित व्यक्तियों (81 करोड़ राशन कार्ड धारकों का एक बड़ा हिस्सा इस श्रेणी में आता है) के लिए यह फ्रीबी यानि मुफ्त का अनाज है. इसी तरह, दिल्ली के मध्यमवर्गीय परिवारों को दी जाने वाली मुफ्त/सब्सिडी वाली बिजली/पानी कल्याणकारी नहीं बल्कि मुफ्तखोरी है.

इसी सिद्धांत पर, PMUY परिवारों को एलपीजी सब्सिडी देना कल्याणकारी है, लेकिन गैर-उज्ज्वला योजना से जुड़े परिवारों के लिए यह रेवड़ियां बांटना है.

OMC की एलपीजी सिलेंडर की वास्तविक लागत में 400 रुपये और 200 रुपये की सब्सिडी में कमी करना सिर्फ छलावा है.

एलपीजी वितरण का डेटा

स्रोत:  PPAC की जुलाई 2023 की स्नैपशॉट रिपोर्ट

OMC यानि तेल मार्केटिंग कंपनियों ने USD 385/MT पर LPG सिलेंडर के लिए सटीक कीमतों का खुलासा नहीं किया है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय मूल्य रुझानों को देखते हुए, घरेलू समकक्ष कीमत 607- 703 रुपये प्रति सिलेंडर के बीच होगी. इसके 703 रुपये प्रति सिलेंडर से ज्यादा होने की तो किसी भी सूरत में संभावना नहीं है. इसलिए, वर्तमान मामले में, जब एलपीजी सिलेंडर की कीमत उज्ज्वला परिवारों के लिए सब्सिडी वाली कीमत से भी कम है, तो किसी के लिए कोई वास्तविक सब्सिडी नहीं है. इसलिए, यह एक सीधा और सरल 'नौसिखिया' कदम है.

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पेट्रोलियम सेक्टर में सुधार

बिजली की तरह पेट्रोलियम सेक्टर भी कई वर्षों से लोकलुभावन राजनीति का शिकार है. काफी राजकोषीय पीड़ा के बाद, सरकार ने 2012- 2015 के बीच गहन चर्चा के बाद उपभोक्ता पेट्रोलियम उत्पादों - पेट्रोल, डीजल और बिना सब्सिडी वाले LPG के लिए बाजार भाव तय करने का एक सिस्टम बनाया.

पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर दिन इंपोर्ट प्राइस, रुपये की विनिमय कीमत और उत्पादन लागत से तय होने लगीं. हालांकि, कोई वास्तविक बाजार नहीं था. फिर भी प्रशासनिक रूप से निर्धारित कीमतें उसके काफी करीब थीं.

यह प्रणाली साल 2018 तक काफी अच्छी तरह से काम करती रही, जब कच्चे तेल की कीमतें 75 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गईं. सरकार ने 2018 में कर्नाटक चुनावों के दौरान OMC में बदलाव की इजाजत नहीं दी. उसके बाद यह नियमित रूप से लोकसभा और अन्य विधानसभा चुनावों में दोहराई गई.

COVID 19 ने कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ला दी. सरकार ने उत्पाद शुल्क और सेस बढ़ाकर खूब मुनाफा कमाया लेकिन यूक्रेन-रूस युद्ध ने दोबारा फिर से कीमतों को झटका दिया.

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सरकार ने स्थिति को प्रबंधित करने के लिए रोजाना मूल्य संशोधन सिस्टम को बदलने का फैसला किया. इससे OMC की सेहत पर असर पड़ा. आंशिक रूप से एक्साइज ड्यूटी, सेस में कमी आई. अप्रैल 2022 के बाद जब रोजाना मूल्य संशोधन पूरी तरह से बंद हो गया, तो पेट्रोलियम उत्पाद मूल्य निर्धारण प्रणाली पूरी तरह से अपारदर्शी हो गई.

पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के लिए बाजार से जुड़ी मूल्य व्यवस्था को छोड़ने से अतिरिक्त नुकसान हुआ. OMC को 2022-23 में दो-तीन तिमाहियों तक शुद्ध घाटा हुआ. BPCL के निजीकरण की योजना रोकनी पड़ी. सरकार को पीएसयू ओएमसी को 22,000 करोड़ रुपये का एकमुश्त अनुदान देना था. सरकार को 2023-24 के बजट में HCPCL सहित ओएमसी को पूंजी देने के लिए 30,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने थे, जो पहले ओएनजीसी को बेची गई थी.

अगर पेट्रोलियम सेक्टर में सुधार पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं तो पूरी तरह से गड़बड़ हो गए हैं.
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पेट्रोलियम और नैचुरल गैस सेक्टर को पूरी तरह से बाजार के हिसाब से बनाने के लिए इसमें सुधार की जरूरत है. OMC के निजीकरण की आवश्यकता है. पेट्रोलियम और गैस उत्पादों की कीमतों को पूरी तरह से बाजार से तय होने की इजाजत रहनी चाहिए. ऐसे अवसरों पर जब तेल और गैस उत्पाद की कीमतें अत्यधिक बढ़ जाती हैं तब गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को सुरक्षा देने की जरूरत है. इसके लिए सरकार सीधे नकद लाभ सहायता दे सकती है.

जितनी जल्दी इन सुधारों और कल्याणकारी सिस्टम को लागू किया जाएगा, वह राष्ट्र, लोगों और सरकार के लिए उतना ही बेहतर होगा.

(लेखक भारत के पूर्व आर्थिक मामलों के सचिव और वित्त सचिव हैं. यह एक विचारात्मक आलेख है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है)

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