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लखनऊ:एक्टिविस्ट जैनब सिद्धिकी के पिता को ले गई पुलिस,पीटने का आरोप

सामाजिक कार्यकर्ता जैनब सिद्दीकी के 16 साल के भाई और पिता को पुलिस उठाकर ले गई थी

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जैनब सिद्दीकी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की संस्था "National Alliance of People's Movement" की सक्रिय सदस्य हैं. वो पिछले 8 सालों से महिला और दलितों के समाज कल्याण पर काम कर रही हैं. जैनब ने पिछले साल लखनऊ में हुए CAA-NRC प्रदर्शनों में सक्रिय भूमिका निभाई थी. लेकिन अब अचानक उनके पिता और भाई को पुलिस उठाकर ले गई है.

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जैनब के परिवार का आरोप है कि जैनब सिद्दीकी की तफ्तीश करते हुए दो पुलिसकर्मी उनके घर गुरुवार 5 नवंबर शाम 5 बजे पहुंचे. जैनब सिद्दीकी की फोटो दिखाकर उनके पिता नईम सिद्दीकी से पूछताछ की. जैनब नहीं मिली तो कुछ देर में 8 लोग सादी वर्दी में आए और नईम सिद्दीकी और उनके बेटे शाद सिद्दीकी को हिरासत में लेकर चले गए. परिवार का कहना है कि इस दौरान पुलिसवालों ने घर के सदस्यों और महिलाओं के साथ मारपीट की.

पुलिस पर मारपीट के आरोप

इस घटना को लेकर जैनब सिद्दीकी की मां से बात करने पर उन्होंने बताया,

“दोनों पुलिस वालों के जाने के बाद शाम 6 बजे के करीब मेरे शौहर नमाज पढ़कर घर वापस आए थे. तभी 8 लोग मेरे शौहर को पकड़कर गाड़ी में जबरन बिठाने लगे. उनकी तेज चीख को सुनकर हम सभी घर से बाहर निकले और उन्हें रोकने लगे. इस बात को देखकर उन लोगों ने स्थानीय थाने से करीब 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को बुलाया और उनकी मौजूदगी में हमारे साथ मारपीट की गई. हमने पूछा कि आखिर आप क्यों आए हैं? क्या हुआ जो इस तरह से मेरे पति को जबरन गाड़ी में बिठा रहे हैं? कोई नोटिस दिखाइए, क्यों आये हैं? लेकिन वो लोग रुके नहीं और तभी मेरा 16 साल का बेटा वहां आता है जिसे मेरे पति के साथ जबरन गाड़ी में बिठाकर वो चले जाते हैं.”
रेशमा बानो, जैनब की मां
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महिला पुलिस की गैर मौजूदगी में हुई घटना

इस पूरी घटना के दौरान वहां जैनब सिद्दीकी की बहन रोकइया सिद्दीकी भी मौजूद थीं, उन्होंने इसे लेकर बताया कि, "वो लोग मेरे पापा को पकड़ते हुए कहते हैं तुम CAA-NRC को चैलेंज करोगे, योगी से बदतमीजी करोगे, तुम सरकार के खिलाफ बोलोगे. तुम मुसलमानों में इतनी ताकत आ गई? इस दौरान उन लोगों ने हमारा मोबाइल छीन लिया और आस-पास के लोग जब हमारी मदद के लिए आए तो हसनगंज थाना के SHO ने लाठीचार्ज करवा दिया. उस वक्त पुलिस कोई महिला पुलिस मौजूद नहीं थी, बावजूद इसके हम सभी महिलाओं से वो लोग भिड़े, हमें पकड़ लिया, छोड़ नहीं रहे थे, हमारे साथ बदतमीजी की गई."

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मैग्सेसे सम्मानित संदीप पांडे क्या कहते हैं-

2002 में मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित आईआईएम अहमदाबाद में गेस्ट लेक्चरर और सामाजिक कार्यकर्त्ता संदीप पांडे की पहल पर शुक्रवार सुबह जैनब के भाई शाद को पुलिस ने छोड़ा. संदीप पांडे पूरी घटना को लेकर बताते हैं कि जब वो थाने पहुंचे और SHO साहब से पूछा कि भाई क्या बात है? इस पर थानाध्यक्ष ने कहा कि ,

"गलती दोनों तरफ से हुई, नईम साहब के फोन में कोई कॉल आई थी जिसकी जांच ATS करना चाहती है. उन्होंने खुद इस बात को स्वीकारा कि ATS को वहां नहीं जाना चाहिए था, वो थाना आते तो हम नईम साहब को बुलाकर यहीं पूछताछ करवा देते और ऐसी परिस्थिति नहीं बनती. मुझे नईम साहब का फोन चाहिए." मैंने मोबाइल फोन मंगवाकर थाना प्रभारी को दे दिया और कहा कि अब नईम साहब को छोड़ दीजिए. लेकिन थानाध्यक्ष ने कहा कि जांच के बाद ही छोड़ेंगे. पांडे ने आगे कहा,

“रही बात जैनब के भाई शाद की तो उसे रात भर थाने में रखना बिलकुल जायज नहीं है. वो दसवीं में पढ़ता है, रात में जब मैंने उसे देखा तो नहीं लगा कि उसके साथ मारपीट हुई है. लेकिन, आज सुबह जब हम उसे छुड़ाने गए तो उससे साइन करने के लिए कहा गया, वो दर्द की वजह से साइन नहीं कर सका, मैंने पूछा लाठी लगी है क्या तो कहने लगा “एक नहीं!”
संदीप पांडे, सामाजिक कार्यकर्त्ता
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जैनब सिद्दीकी बोलीं- समझ नहीं आ रहा, ये क्यों हुआ?

इस पूरी घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता जैनब सिद्दीकी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा उनके परिवार के साथ ऐसा क्यों हुआ. सिद्दीकी ने कहा, "मैं पिछले 8 सालों से बतौर समाजिक कार्यकर्ता सक्रिय हूं. किसान, महिलाओं और दलितों के लिए लगातार काम किया. NAPM की सदस्य हूं, साथ ही महिला युवा अधिकार मंच का भी हिस्सा हूं. गुरुवार को जब पुलिस आई तो मैं घर पर नहीं थी. पुलिस मेरे बारे में पूछ रही थी कि मैं CAA-NRC में रही हूं कि नहीं. जैसे सभी लोगों ने प्रोटेस्ट में भाग लिया वैसे ही मैंने भी प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया. बहुत लोगों पर CAA प्रोटेस्ट को लेकर FIR हुई, लेकिन मेरे साथ ऐसी कोई बात नहीं थी. इसलिए मुझे लेकर इस तरह की छानबीन करना और पापा को हिरासत में लेना निंदनीय है. मेरे पिता कंस्ट्रक्शन ठेकेदार हैं. हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ, हम समझ नहीं पा रहे हैं."

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हमने जैनब के घर पर पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में बनी अप्रिय परिस्थिति और उनके भाई और पिता को हिरासत में लिए जाने को लेकर हसनगंज थाना से संपर्क किया. इस पर हसनगंज थाना प्रभारी अमरनाथ वर्मा ने कहा,

“हमारे यहां कोई हिरासत में नहीं है, स्पेशल फोर्स उन्हें लेकर गई है.” लेकिन थाना प्रभारी ने जैनब के 16 साल के भाई को हिरासत में क्यों लिया गया, इस सवाल का जवाब नहीं दिया.
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मजिस्ट्रेट और कमिश्नर को की गई शिकायत

जैनब के पिता के वकील अस्मा इज्जत ने कहा कि , "जैनब सिद्दीकी एक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं जो CAA-NRC को लेकर पिछले साल सक्रिय थीं, तो जैनब को लेकर पूछताछ करने आई पुलिस ने उनके पिता और नाबालिग भाई को हिरासत में ले लिया. इसलिए बात साफ नहीं होती कि वो जैनब के लिए आए थे या उनके पिता के लिए. साथ ही जैनब की बहनों के साथ जो मारपीट भी हुई इसके लिए तो हमने एक तहरीर कमिश्नर और चीफ जस्टिस इलाहबाद लखनऊ बेंच को दिया है. सुबह जैनब के भाई को हसनगंज थाने ने छोड़ दिया लेकिन रात भर उनके पिता को पुलिस ने कहां रखा और इस वक्त वो कहां हैं, इस सवाल का जवाब प्रशासन से नहीं मिल रहा है. इसलिए हमने सेक्शन 97 Crpc के तहत एक अर्जी माननीय जुडिशियल मजिस्ट्रेट लखनऊ को दी है कि नईम सिद्दीकी की तलाश की जाए और उनकी जानकारी परिजनों को दी जाए.

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