यूपी सरकार (UP Government) ने प्रदेश में गैर सरकारी मदरसों के सर्वे के लिए आदेश जारी किए हैं. यूपी सरकार का दावा है कि सर्वे के बाद गैर मान्यता वाले मदरसों को मान्यता दिलाई जाएगी. तो वहीं AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
यूपी सरकार द्वारा सभी जिलाधिकारियों को गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण शुरू करने के निर्देश ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, कई अल्पसंख्यक संगठनों ने इसे गलत ठहराया है. कई मौलवियों ने इस कदम का समर्थन भी किया है तो कुछ अधिक स्पष्टता की मांग कर रहे हैं.
यूपी में 16 हजार से अधिक मदरसा
जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के देवबंद स्थित संरक्षक मौलाना इशाक गोरा ने कहते हैं कि सरकार के निर्देश स्पष्ट हैं. सर्वेक्षण उन मदरसों से संबंधित है, जिनकी मान्यता नहीं है. नियमों का पालन करने वालों को डरने की कोई बात नहीं है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 16,000 से अधिक मान्यता मदरसे हैं. यूपी सरकार ने 31 अगस्त को सभी गैर मान्यता प्राप्त निजी मदरसों के सर्वे का आदेश दिया था. 10 सितंबर को टीम गठित कर ली गई है, जो मदरसों का सर्वे करेगी. 15 अक्टूबर तक सर्वे काम पूरा करना है. सर्वे के लिए 12 बिंदू निर्धारित किए गए हैं, जिसके आधार पर काम किया जाएगा.
12 प्वाइंट्स में होगा सर्वे
मदरसे का नाम
मदरसों की फंडिंग की जांच
कब बनाया गया था मदरसा?
मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के बिल्डिंग में?
मदरसे में छात्रों का क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं?
मदरसे में पढने वालों छात्रों की संख्या?
मदरसे में पढाने वालों की संख्या?
मदरसे के आय का स्त्रोत?
मदरसे का पाठ्यक्रम क्या है?
छात्र-छात्राएं किसी और शिक्षण संस्थान स्कूल में भी नामांकित हैं?
मदरसा का क्या किसी सरकारी संस्था से संबद्ध है? इस संबंध में पूरा विवरण देना होगा.
आखिर में सर्वे के बाद एक प्वाइंटर में रिमार्क दिया जाएगा. सर्वेयर अपना कमेंट लिखेंगे.
कौन करेंगा सर्वे?
उप जिला अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों की संयुक्त टीम बनाई गई हैं. डोर टू डोर जाकर मदरसे का सर्वे किया जाएगा. इसमें लेखपाल की मदद ली जाएगी, करीब एक महीने में ये सर्वे पूरा किया जाएगा. और सरकार को 15 अक्टूबर को रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
सर्वे की जरूरत क्यों?
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिरी सर्वे की जरूरत क्यों पड़ी. जहां एक तरफ विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मदरसों को भी सरकार बुलडोजर का डर दिखा रही है, तो वहीं सरकार का दावा है कि सभी मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि इस सर्वे का असली मकसद मदरसों का रियल हालत जानना और उनके स्तर को बेहतर बनाना है, यही नहीं मदरसों के संचालकों से ये पूछा भी जाएगा कि वो सरकार की किस योजना से जुड़ना चाहते हैं.
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