मध्य प्रदेश में सियासी संकट के बीच राज्य विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी गई है. बता दें कि 16 मार्च को विधानसभा में इस साल के बजट सत्र का पहला दिन था.
सत्र की शुरुआत में विधानसभा में राज्यपाल लालजी टंडन का अभिभाषण हुआ. इसके बाद बीजेपी विधायकों की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग के साथ हंगामा शुरू हो गया.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर गोविंद सिंह ने देश में कोरोनावायरस के खतरे के मुद्दे को उठाया और केंद्र सरकार की एडवाइजरी का भी जिक्र किया. इसके बाद विधानसभा स्पीकर ने सिंह के अनुरोध को स्वीकार करते हुए विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी.
राज्यपाल टंडन ने 16 मार्च को विधानसभा में कहा, ‘’मैं सभी (विधानसभा) सदस्यों को सलाह देना चाहता हूं कि वो शांतिपूर्ण तरीके से अपने दायित्व का पालन करें ताकि मध्य प्रदेश के गौरव और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा हो सके.’’
ऐसे शुरू हुआ मध्य प्रदेश का हालिया सियासी संकट
मध्य प्रदेश का हालिया राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दिया. सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. उधर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिन्हें सिंधिया खेमे का बताया जा रहा है. हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि उसके विधायकों को बंधक बनाया गया है.
मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने 22 में से 6 विधायकों के इस्तीफे को ही स्वीकार किया है. ऐसे में 16 बागी विधायकों के इस्तीफे पर अभी स्पीकर का फैसला बाकी है. इस बीच मध्य प्रदेश विधानसभा का मौजूदा संख्याबल 222 हो गया है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 112 हो गया है.
बात कांग्रेस के संख्याबल की करें तो उसके पास फिलहाल (16 बागी विधायकों सहित) 108 विधायक हैं. इसके अलावा उसे 7 सहयोगी विधायकों का भी समर्थन हासिल है. जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.
अल्पमत में आ चुकी है कमलनाथ सरकार: बीजेपी
बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ चुकी है. ऐसे में बीजेपी लगातार मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है. राज्यपाल टंडन ने भी हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ से कहा था कि 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराया जाए. हालांकि कमलनाथ ने कहा कि फ्लोर टेस्ट पर फैसला स्पीकर को करना है. इसके अलावा उन्होंने कहा, '' मैंने राज्यपाल से कहा था कि विधायक स्वतंत्र होकर आएं, फ्लोर टेस्ट में कोई आपत्ति नहीं है.''
इस मामले पर बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने 15 मार्च को कहा था, ''राज्यपाल ने विधानसभा में उनके संबोधन के बाद फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन कल (16 मार्च) की कार्यसूची में इसका जिक्र नहीं है. हम इस मुद्दे को उठाएंगे, स्पीकर को राज्यपाल के आदेश मानने पड़ेंगे.''
भार्गव ने बाद में कहा, ‘’जो फ्लोर टेस्ट टालने की कोशिश हो रही है उससे सरकार नहीं बचेगी. राज्यपाल के आदेश की अवमानना नहीं होनी चाहिए. राज्यपाल के निर्देश के अनुसार उनके अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट होगा. अगर मुख्यमंत्री में नैतिकता शेष है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.’’
वहीं कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने कहा, ''विधानसभा स्पीकर जो भी फैसला लेंगे, हमको मंजूर है. हमारे 16 विधायक गायब कर दिए गए हैं, जिसकी शिकायत सीएम ने गृह मंत्री से की है.''
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