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‘MP पुलिस ने दाढ़ी देखी और मुसलमान समझ लगी पीटने, अब धमका रही’

दीपक का आरोप- पुलिस ने पहले उनकी पिटाई की फिर उनकी FIR तक दर्ज नहीं की और अब शिकायत वापस लेने का दबाव बना रही है.

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केस वापस ले लो, देखिए आपको गलतफहमी की वजह से पुलिस ने पीट दिया. क्या है कि दूसरे समाज का समझकर आपके साथ घटना हो गई, आप मुसलमान की तरह दिखते हो, दाढ़ी बढ़ी थी आपकी, इस कारण ही आपको पीट दिया, वो कट्टर हिंदू आदमी है. अगर उसे पता होता तो वो आपके साथ ऐसा नहीं करता.
पीड़ित से पुलिस वालों की बातचीत का ऑडियो

ये वो बातें हैं जो दो पुलिसवाले मध्यप्रदेश के बैतूल में रहने वाले दीपक बुंदेले से उनके घर पर आकर कह रहे थे. दीपक ने उनकी ये बातचीत अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली.

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क्या है पूरा मामला?

दीपक के मुताबिक 23 मार्च को कोरोना वायरस की वजह से बैतूल में धारा 144 लागू था. उस वक्त लॉकडाउन शुरू नहीं हुआ था. शाम के करीब 5.30 या 6 बजे दीपक अपनी दवा के लिए अस्पताल जा रहे थे, तब ही रास्ते में कुछ पुलिस वालों ने उन्हें अस्पताल जाने से रोका.

मैं डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का मरीज हूं. जब मैंने पुलिस वालों को बोला कि मुझे दवा लेनी है, तभी  एक पुलिस वाले ने मुझे तमाचा जड़ दिया. जब मैंने कानून और संविधान की बात की तब उन्होंने संविधान और मुझे दोनों को गालियां देनी शुरू कर दी. फिर उन लोगों ने मुझे डंडे, घूंसे हर तरह से पीटा. लेकिन जब मैंने पुलिस वालों को बताया कि मैं वकील हूं और कानून के दायरे में उन लोगों को सबक सिखाऊंगा, तब पुलिस वालों ने छोड़ा. हालांकि तब तक मैं बहुत पिट चुका था.
दीपक, वकील
दीपक का आरोप- पुलिस ने पहले उनकी पिटाई की फिर उनकी FIR तक दर्ज नहीं की और अब शिकायत वापस लेने का दबाव बना रही है.
(अपने चोट का निशान दिखाते हुए दीपक बुंदेले
(फोटो: क्विंट हिंदी)

पिटाई के 50 दिनों के बाद भी नहीं दर्ज हुई FIR

दीपक बताते हैं कि उन्होंने इस घटना के बाद अपने भाई को बुलाया और वो दोनों अस्पताल गए और वहां उन्होंने चोट लगने की वजह से एमएलसी (मेडिकोलीगल केस) दर्ज कराई. लेकिन उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई. दीपक ने इसकी शिकायत एसपी से लेकर आईजी, सीएम और बार काउंसिल तक में की.

एक महीने बाद खुला पिटाई का राज

दीपक कहते हैं,

“पुलिस करीब एक महीने से शिकायत वापस लेने का दवाब बना रही थी, लेकिन चौंकाने वाली बात 17 मई को सामने आई, जब मेरे घर पर बयान लिखवाने के नाम पर आए पुलिस वालों ने कहा कि आप को जिस पुलिस वाले ने पीटा था, वो शर्मिंदा है. आप केस वापस ले लो.”

दीपक का दावा है कि उन्होंने पुलिस और उनके बीच हुई बातचीत का ऑडियो रिकॉर्ड कर लिया था.

दीपक जब ऑडियो सुनाते हैं तो उसमें एक शख्स कहता है,

“दरअसल, जब भी दंगा होता है, हिंदुओं का ही साथ देती है. ये मुसलमान भी जानते हैं, मगर आपके साथ गलतफहमी में ये घटना हुई है. हमारे पास कहने को शब्द नहीं है. आपकी दाढ़ी बढ़ी थी, इस कारण आपके साथ घटना हो गई, वो कट्टर हिंदू आदमी है.”
पीड़ित से पुलिस वालों की बातचीत का ऑडियो
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दीपक उस ऑडियो में ये कहते सुनाई देते हैं कि जब वो दवा लाने गए तब ना दंगा हो रहा था, ना हिंदू-मुस्लिम की कोई बात. फिर भी मुझे क्यों पीटा. दीपक ने जो ऑडियो सुनाया है उसमें दो लोग बार-बार दूसरे समाज से होना, दाढ़ी होना, गलतफहमी में घटना हो गई जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.

घटना की CCTV फुटेज भी नहीं मिली

पिटाई के बाद 24 मार्च को दीपक ने जिला के एसपी डीएस भदोरिया और राज्य के डीजीपी विवेक जोहरी को एक शिकायत पत्र लिखा. साथ ही दीपक ने मुख्यमंत्री, मानव अधिकार आयोग, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और बड़े सरकारी अधिकारियों को भी चिट्ठी लिखी.

दीपक ने साथ ही एक आरटीआई भी फाइल की, जिसमें उनके साथ हुई मारपीट की रात का सीसीटीवी फुटेज मांगा. लेकिन दीपक का आरोप है कि सीसीटीवी फुटेज मांगने का मकसद नहीं बताने के आधार पर उन्हें ये देने से मना कर दिया गया.

"शिकायत वापस लेने के लिए धमकी मिल रही"

दीपक का आरोप है कि पुलिस उनपर शिकायत वापस लेने के लिए काफी दबाव बना रही है. दीपक कहते हैं,

“पहले तो हमें कहा गया कि दाढ़ी की वजह से पिटाई हुई, लेकिन मैं कई सालों से दाढ़ी रखता आ रहा हूं. अगर मैं मुसलमान भी होता तो क्या किसी पुलिस वाले को मुझे पीटने का हक मिल जाता? अब जब मैं शिकायत वापस नहीं ले रहा हूं, तो हमें धमकाया जा रहा है कि देख लेंगे तुम कैसे कोर्ट में प्रैक्टिस करते हो, मेरा छोटा भाई भी वकील है, उसे प्रैक्टिस करने देने को लेकर भी धमकी मिल रही है.”

क्विंट ने इस बात को समझने के लिए और पुलिस प्रशासन का पक्ष जानने के लिए एसपी डीएस भदौरिया को कई बार कॉल किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. साथ ही एसपी ऑफिस के नंबर पर भी कॉल करने पर कोई जवाब नहीं मिला.

पुलिस ने माना अब नहीं है सीसीटीवी फुटेज

फिर क्विंट ने एडिशनल एसपी श्रद्धा जोशी से बात की. उन्होंने बताया कि इस मामले की जो रिपोर्ट उन्हें थाना प्रभारी से मिली है उसमें दो चीजें निकलकर सामने आई हैं.

एक तो ये कि दीपक बुंदेले ने 23 मार्च को पुलिस से बदतमीजी की थी. लेकिन उस घटना की हमारे पास सीसीटीवी फुटेज नहीं है, क्योंकि सीसीटीवी फुटेज सिर्फ 30 दिनों तक ही सुरक्षित रह पाता है. अगर सीसीटीवी फुटेज होता तो दोनों तरफ की बात सामने आ जाती. दूसरी बात ये कि घटना की जानकारी सब इंस्पेक्टर ने बड़े अधिकारियों को नहीं दी, सिर्फ डायरी में मेंशन किया.
श्रद्धा जोशी,एडिशनल एसपी

श्रद्धा बताती हैं कि दीपक से जब पूछा गया कि आपके साथ किस पुलिस वाले ने गलत बर्ताव किया है तो वो उन पुलिस वालों की पहचान नहीं कर पाए.

जब क्विंट ने एडिशलन एसपी से एफआईआर दर्ज नहीं होना और धर्म के आधार पर पिटाई किए जाने पर सवाल किया तो एडिशनल एसपी श्रद्धा जोशी ने कहा,

“कोरोना की वजह से सारे पुलिस अधिकारी ग्राउंड ड्यूटी पर हैं, हमारा पहला मकसद लॉकडाउन को देखना था. क्योंकि यहां पर कोरोना के बहुत सारे केस आ रहे हैं, इसी में केस भी हैंडल करना है और कोरोना का मामला भी है. धर्म वाली बात हमारे संज्ञान में आई है, जिन लोगों ने भी हमें रिपोर्ट सौंपी है उन्होंने ये बाते हमें नहीं बताई, लेकिन कुछ पत्रकारों ने ये बातें बताई है. और अगर इस तरह की गलत बात बोली गई है तो कार्रवाई जरूर होगी.

वहीं, जांच के आदेश के बाद बैतुल कोतवाली एएसआई बीएस पटेल को सस्पेंड कर दिया गया है. इस मामले की जांच एसडीओपी बैतुल कर रहे हैं.

दीपक बुंदेले बैतूल कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं. पहले वो पत्रकार भी रह चुके हैं. दीपक बताते हैं कि पुलिस ने उन्हें जिस तरह से पीटा था. उससे उनके कान से दो दिनों तक खून बहता रहा. उन्हें सुनने में भी परेशानी होने लगी थी. अब दीपक को डर है कि कहीं उनके परिवार को या उनको पुलिस के खिलाफ आवाज उठाने की सजा ना मिले.

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