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मध्य प्रदेश में मनरेगा कार्ड पर दीपिका-दीया की तस्वीरें, जांच शुरू

कई पुरुषों के नाम के रोजगार कार्ड पर भी महिला एक्टर की फोटो

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मध्य प्रदेश में फर्जी मनरेगा कार्ड बांटे जाने का मामला सामने आया है. फर्जी इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इन जॉब कार्ड्स पर बॉलीवुड एक्टर दीपिका पादुकोण, जैकलीन फर्नांडिस और दीया मिर्जा की तस्वीरें लगी हुई हैं. मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में कई लोगों को महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम के तहत ये कार्ड जारी किए गए हैं.

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पुरुषों के नाम के कार्ड, फोटो दीपिका-दीया की

दरअसल इन मनरेगा कार्डों को ग्रामीण लोगों के नाम से जारी किया गया, लेकिन कार्ड पर फोटो उनकी नहीं बल्कि बॉलीवुड एक्टर्स की लगाई गई थी. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक जो कार्ड सोनू शांतिलाल के नाम से जारी किया गया था, उस कार्ड पर दीपिका पादुकोण की तस्वीर लगाई गई थी.

पीपरखेड़ा नाका गांव के करीब 11 लोगों ने कुछ इसी तरह की शिकायत की है. उन्होंने कहा है कि उनके रोजगार कार्ड पर किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी की तस्वीर लगा दी गई है. यहां तक कि कुछ कार्ड ऐसे हैं जो पुरुषों के नाम से जारी हुए हैं, लेकिन उनमें तस्वीरें महिला एक्टर की लगाई गई हैं.

सोनू शांतिलाल जिनके जॉब कार्ड पर दीपिका पादुकोण की तस्वीर लगी है, उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उन्हें कोई भी अंदाजा नहीं है कि उनका जॉब कार्ड कैसे बना. उन्होंने इस पूरे फर्जीवाड़े को लेकर पंचायत सचिव और रोजगार सहायक पर आरोप लगाए हैं. शांतिलाल ने कहा,

मुझे कोई आईडिया नहीं है कि ये कार्ड कैसे बनाए गए हैं. उन्होंने मेरे साथ कार्ड पर मेरी पत्नी की जगह दीपिका पादुकोण की फोटो लगा दी.

प्रशासन ने की सख्त कार्रवाई की बात

एक और शख्स पदम रूपसिंह की भी कुछ ऐसी ही शिकायत है. जिनके जॉब कार्ड पर दीया मिर्जा की फोटो लगाई गई है. उनका आरोप है कि उन्हें गांव के सरपंच और किसी ने भी कोई काम नहीं दिया था. इस मामले को लेकर जिला पंचायत खरगौन के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया,

“मुझे कुछ शिकायतें मिली हैं कि जॉब कार्ड्स पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की तस्वीरें लगाई गई हैं. मैंने इसे लेकर जांच बिठाई है कि क्या ये कार्ड वाकई में असली हैं, और अगर हैं तो ऐसे कैसे इन पर एक्टर्स की तस्वीरें प्रिंट हो गईं. जांच के बाद दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.”

अब भले ही मामला सामने आने के बाद प्रशासन जांच की बात कर रहा हो, लेकिन अगर ये रोजगार कार्ड फर्जी निकलते हैं तो ये कहीं न कहीं गरीब ग्रामीणों के साथ एक बड़ा धोखा होगा. बता दें कि कोरोना लॉकडाउन के बाद कई मजदूर अपने गांव लौटे हैं और मनरेगा के तहत रोजगार से उनका कुछ गुजारा चल जाता है.

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