ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी के एक पोस्ट ग्रेजुएशन के पेपर में क्रांतिकारियों को 'आतंकवादी' बताने पर बवाल हो गया है. छात्रों ने इस पर गुस्सा जताया है और इसे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया. अब इस मुद्दे पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार की सफाई आई है. रजिस्ट्रार आईके मंसूरी ने कहा है कि इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है.
क्रांतिकारियों को ‘आतंकवादी’ बताए जाने का मुद्दा असल में गुना पीजी कॉलेज में सामने आया था. 20 दिसंबर को एमए पॉलिटिकल साइंस के तीसरे सेमेस्टर के छात्र अपने पेपर में ‘क्रन्तिकारी आतंकवादी और उग्रवादियों’ के बीच अंतर पूछने के सवाल को देखकर हैरान रह गए थे. सवाल था - “एक क्रांतिकारी आतंकवादी की गतिविधियों का विवरण दीजिए. उग्रवादियों और क्रांतिकारी आतंकवादियों में क्या अंतर होता है.”
सवाल देखकर हैरान हुए छात्रों ने इसे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जिंदगी का बलिदान दिया था. छात्रों ने सवाल को हटाने की मांग उठाई.
इस पर बवाल बढ़ता देख यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने इस पर बयान जारी किया है. रजिस्ट्रार आईके मंसूरी ने कहा, "इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की गई है. संबंधित एग्जामिनर से जानकारी ली जा रही है. आगे एक्शन लिया जाएगा."
एक प्रदर्शनकारी छात्र ने कहा, "जिन क्रांतिकारियों ने देश के लिए अपनी जान दी, उन्हें बहादुर का दर्जा मिलना चाहिए. इसकी बजाय उन्हें आतंकवादी बताया जा रहा है. हम इसकी आलोचना करते हैं और चाहते हैं कि सवाल पेपर से हटाया जाए."
सरकार को क्रांतिकारियों का सम्मान करना चाहिए. इसकी जगह उन्हें आतंकवादी कहा जा रहा है. ये सरकार का इन क्रांतिकारियों के प्रति रवैया दिखाता है.प्रदर्शनकारी छात्र
गुना कॉलेज के प्रिंसिपल वीके तिवारी ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया था कि छात्रों के सवाल उठाने के बाद यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर तक जानकारी पहुंचा दी गई थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)