मध्य प्रदेश के उज्जैन में 25 दिसंबर को बेगम बाग के मुस्लिम-बहुल इलाके में एक दक्षिणपंथी यूथ रैली से झड़प शुरू हुई थी. द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, रैली उस समय हिंसक हो गई जब पत्थरबाजी हुई. रैली में शामिल लोग कथित रूप से भड़काऊ नारे लगा रहे थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कि पुलिस ने चार लोगों पर NSA लगाया है. जबकि तीन अन्य लोगों पर दंगा करने और हत्या की कोशिश के तहत केस दर्ज हुआ है.
इलाके में पत्थरबाजी की खबरों के बाद स्थानीय प्रशासन ने इलाके में एक घर को ध्वस्त किया और एक अन्य घर को 'अवैध ढांचे' हटाने की मुहिम के तहत क्षतिग्रस्त किया.
घटना क्या थी?
25 दिसंबर को उज्जैन में उस समय झड़प हो गई जब भारतीय जनता युवा मोर्चा के करीब 300 कार्यकर्ताओं और 60 बाइकर्स ने बेगम बाग इलाके में एक बाइक रैली निकालते हुए नारे लगाए. द प्रिंट की रिपोर्ट का कहना है कि ये रैली अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए निकाली गई थी.
टाउन इंस्पेक्टर अरविंद सिंह तोमर ने कहा कि जब रैली बेगम बाग इलाके से नारे लगाते हुए निकली तो पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं.
इलाके के लोगों का आरोप है कि आपत्तिजनक नारे लगाए गए और इससे कुछ लोग भड़क गए.
तोमर ने कहा, "घटना में 11 लोग घायल हुए हैं और एक शख्स को गंभीर चोटें आई हैं." इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तोमर ने बताया कि पत्थरबाजी की वजह से भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी.
क्या कार्रवाई की गई?
रैली के एक दिन बाद जिला प्रशासन ने एक डेमोलिशन ड्राइव चलाई. इसका मकसद इलाके में 'अवैध अतिक्रमण' को हटाना बताया गया. इसमें एक घर को ध्वस्त किया गया और दूसरे को क्षति पहुंची.
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल वर्कर मोहम्मद अयूब ने आरोप लगाया, “पत्थरबाजी की वीडियो के आधार पर अधिकारी उस घर को गिराने आए, जहां से एक महिला पत्थर फेंकती हुई दिखी. उन्हें पता चला कि घर एक हिंदू परिवार का है तो वो उसके पड़ोस वाला घर गिरा के चले गए.”
अयाज मोहम्मद, वसीम आलम, शादाब अकरम और आलतु असलम पर NSA लगाया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर का कहना है कि जिन तीन लोगों पर दंगा करने, हत्या की कोशिश, जानबूझकर नुकसान पहुंचाने और झूठे बयान देने का केस हुआ है, उनमें से दो महिला हैं. एक गिरफ्तार हो चुकी हैं और दूसरी अभी फरार हैं.
उज्जैन के एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने कहा, "बेगम बाग इलाका सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील है और जिन पर NSA लगा है, उनका आपराधिक रिकॉर्ड है. पुलिस जांच निष्पक्ष है और FIR दोनों तरफ से रिकॉर्ड की गई हैं. पहली FIR में सात लोगों पर केस हुआ है, दूसरी FIR अज्ञात लोगों के खिलाफ है, जबकि तीसरी में रैली से एक शख्स की पहचान हुई है."
स्थानीय लोगों का क्या कहना है?
बेगम बाग के निवासियों के मुताबिक, उस दिन इलाके में कई मौकों पर रैली हुई और दक्षिणपंथी यूथ वर्कर्स सिर्फ नारे नहीं लगा रहे थे, बल्कि स्थानीय लोगों को गाली भी दे रहे थे.
एक स्थानीय खलीकुर रहमान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "इससे लोग भड़क उठे और दोनों तरफ से पत्थरबाजी की गई. इससे कई निवासियों के वाहन और घरों को नुकसान हुआ. एक क्लिनिक का भी नुकसान हुआ है."
एक निवासी मोहम्मद अयूब ने कहा, "रैली में हिस्सा लेने वाले एक भी शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है, जबकि हमने कई वीडियो सबूत दिए हैं. इनमें लोग पत्थरबाजी करते हुए और गाड़ियों को नुकसान पहुंचाते हुए दिखते हैं."
रहमान ने द प्रिंट को बताया कि अथॉरिटीज ने निष्पक्ष तौर पर काम नहीं किया और दावा किया कि हिंदू समूहों ने पहले पत्थर फेंके, जिसके बाद मजबूर होकर स्थानीयों ने जवाब दिया.
रहमान ने आरोप लगाया कि अथॉरिटीज 'अल्पसंख्यक समुदाय को डरा रही हैं.'
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