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कोविशील्ड के ‘साइड इफेक्ट’ पर केंद्र को मद्रास हाई कोर्ट का नोटिस

कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की. मामले को अब 26 मार्च को अगली सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है.

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भारत
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मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार, आईसीएमआर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एस्ट्राजेनेका और चेन्नई स्थित श्री रामचंद्र हायर एजुकेशन ऐंड रिसर्च को कोविशील्ड के 'साइड इफेक्ट' के एक मामले में नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले एक व्यक्ति की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया, जिसमें यह दावा किया गया था कि टीका लगावाने के बाद उसे गंभीर साइड इफेक्ट से जूझना पड़ा. उस व्यक्ति की लिखित याचिका को स्वीकार करने के बाद आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य से इस बाबत जवाब तलब किया है.

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26 मार्च को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. मामले को अब 26 मार्च को अगली सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है. 41-वर्षीय याचिकाकर्ता आसिफ रियाज ने मांग की है कि जनता को कोविशील्ड लगाने पर अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की जाए. साथ ही उसने टीका परीक्षण से गुजरने के बाद उसे हुए नुकसान के लिए 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है.

याचिका में रियाज ने जिन शिकायतों की बात की है, उनके मुताबिक, वह टीका लेने के बाद न्यूरो इंसेफैलोपैथी से पीड़ित थे और उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया था. लेकिन, इस वैक्सीन के निर्माता ने यह मानने से इनकार कर दिया कि ऐसा टीके के साइड-इफेक्ट के कारण हुआ है.

मार्केटिंग कंसल्टेंट हैं रियाज

रियाज पेशे से मार्केटिंग कंसल्टेंट हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें कई परीक्षणों के बाद इस बात का पता चला कि उन्हें गंभीर न्यूरो इंसेफैलोपैथी है. इस बीमारी के कारण मस्तिष्क और व्यक्तित्व पर प्रतिकूल असर पड़ता है. स्मृति का ह्रास होता है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी आती है.

रियाज की याचिका के अनुसार, उन्हें कोविड -19 के लिए एंटीजन और एंटीबॉडी परीक्षण करने के बाद एक अक्टूबर को वैक्सीन की खुराक दी गई थी, जिसकी रिपोर्ट नकारात्मक आई थी. हालांकि, 11 अक्टूबर को तेज सिरदर्द के कारण सुबह वह जल्दी जाग गए. दर्द इतना बढ़ गया कि वह अपने परिवेश को समझने या कोई प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं थे, उन्हें कमजोरी महसूस हो रही थी.

याचिकाकर्ता की तरफ से क्या-क्या बताया गया?

बाद में उन्हें श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें वैक्सीन लगाई गई थी. उन्हें अगले दिन आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें 20 अक्टूबर तक उपचार मिला. उसके बाद उन्हें अगले दिन एक सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वे 26 अक्टूबर तक रहे. याचिकाकर्ता ने कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद होने वाली मौतों की कवरेज के बारे में समाचार रिपोट्स का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि टीका सुरक्षित नहीं है और यह लाभार्थियों में गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकता है.

हालांकि, केंद्र ने अब तक स्पष्ट किया है कि टीकाकरण के बाद होने वाली मौतों और गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं में से किसी को भी टीकाकरण के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है.

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