देश के एक और कोर्ट ने सीबीआई को 'पिंजरे में बंद तोता' (cbi caged parrot) कह दिया है. मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने कहा है कि सीबीआई एक 'स्वायत्त संस्था' होनी चाहिए जो सिर्फ संसद के प्रति जवाबदेह हो. हाई कोर्ट ने 12 निर्देश देते हुए मौजूदा सिस्टम को बदलने पर जोर दिया और कहा, "ये आदेश पिंजरे में बंद तोते को आजाद करने की कोशिश है."
2013 में कोल फील्ड आवंटन मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्रीय जांच एजेंसी को 'पिंजरे में बंद तोता' बताया था.
मद्रास हाई कोर्ट ने कहा, "सीबीआई को कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) जैसी स्वायत्ता मिलनी चाहिए, जो कि सिर्फ संसद के प्रति जवाबदेह है."
विपक्ष लगातार केंद्र की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाता रहा है कि वो सीबीआई का इस्तेमाल राजनीतिक विरोध दबाने के लिए करती है. जब 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को 'पिंजरे का तोता' बताया था, तब बीजेपी विपक्ष में थी और कांग्रेस पर एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाती थी.
कोर्ट ने केंद्र को दिया निर्देश
कोर्ट का कहना है कि एजेंसी की स्वायत्ता तभी सुनिश्चित होगी जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा. मद्रास हाई कोर्ट ने कहा, "केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाता है कि सीबीआई को ज्यादा ताकत और अधिकारक्षेत्र के साथ वैधानिक दर्जा देने के लिए अलग कानून बनाने पर विचार और उस पर फैसला करे."
"केंद्र सरकार को सीबीआई को कार्यात्मक स्वायत्ता के साथ स्वतंत्र बना देना चाहिए और सरकार का उस पर प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होना चाहिए."मद्रास हाई कोर्ट
कोर्ट ने ये टिप्पणी तमिलनाडु में एक कथित पॉन्जी स्कैम की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "सीबीआई डायरेक्टर के पास सरकार के सचिव जैसी पावर होनी चाहिए और वो सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करें."
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