महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना पतंजलि के ‘कोरोनिल’ को लेकर लगाया गया है. कोरोनिल को लेकर ये दावा किया गया था कि ये कोविड-19 को ठीक कर सकता है. अदालत ने कहा कि "कोरोना वायरस के इलाज के लिए आम जनता में डर और दहशत का फायदा उठाकर मुनाफे के लिए इसका इस्तेमाल किया गया."
चेन्नई की कंपनी अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की याचिका पर पिछले महीने यह अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उसने औद्योगिक उपयोग के लिए ट्रेडमार्क नियमों के अनुसार 'कोरोनिल -92 बी' रजिस्टर्ड किया था. कंपनी ने कहा कि जून 1993 में इसके रजिस्ट्री करने के बावजूद, पतंजलि ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर अपने 'इम्युनिटी बूस्टर' के लिए नाम इस नाम का उपयोग किया था. कंपनी के मुताबिक 2027 तक उनका ट्रेडमार्क पर अधिकार है.
दिव्य मंदिर योग ने कोरोनिल निर्माण किया था और पतंजलि ने इसकी मार्केटिंग की थी.
कोर्ट ने कहा कि पतंजलि को अपने उत्पाद बेचने से पहले ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में जाकर देखना चाहिए कि ये ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड है या नहीं. कोर्ट ने पतंजलि को कहा कि वो चेन्नई स्थित अदयार कैंसर इंस्टीट्यूट और गवर्नमेंट योग एंड नेचुरोपैथी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल को 5-5 लाख रुपये दे.
आपको बता दें कि पतंजलि के कोरोनिल को कोरोना की दवा के रूप में लॉन्च किया गया था. लेकिन दवा के रूप में बेचे जाने की मंजूरी नहीं मिलने के बाद इसे इम्यूनिटी बुस्टर के रूप में बेचा जा रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)