दिग्गज कंपनी नेस्ले इंडिया ने कोर्ट में स्वीकार किया है कि मैगी नूडल्स में लेड की मात्रा थी. सुप्रीम कोर्ट में नेस्ले की ओर से पेश हुए वकीलों के कबूलनामे के बाद मैगी का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में छा गया है.
बता दें कि मैगी में लेड की मात्रा पाए जाने के मामले ने खूब तूल पकड़ा था. इसके बाद मैगी की ब्रिकी पर बैन तक लगा दिया गया था. हालांकि कंपनी ने मैगी में लेड होने के आरोपों को खारिज किया था.
नेस्ले के वकीलों का कबूलनामा, ‘मैगी में निर्धारित मात्रा के भीतर लेड था’
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान नेस्ले की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि मैगी में 'निर्धारित मात्रा' के भीतर लेड की मात्रा थी. वकील के स्वीकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज ने सवाल किया कि आखिर वह ऐसा नूडल क्यों खाएं, जिसमें किसी भी स्तर पर लेड पाया जाता हो?
कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान नेस्ले के वकीलों के कबूलनामे के बाद सरकार बनाम नेस्ले की लड़ाई एक बार फिर जोर पकड़ सकती है.
बता दें, कोर्ट मैगी में लेड की मात्रा को लेकर एनसीडीआरसी की ओर से दर्ज कराए गए मामले पर सुनवाई कर रहा था.
कोर्ट ने आगे कार्यवाही की इजाजत दी
सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले इंडिया के खिलाफ NCDRC में सरकार के मामले में गुरुवार को आगे कार्यवाही की इजाजत दे दी. इस मामले में सरकार ने कथित अनुचित व्यापार तरीके अपनाने, झूठी लेबलिंग और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर 640 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग की है.
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट (CFTRI) मैसूर की रिपोर्ट कार्यवाही का आधार होगी. इसी संस्थान में मैगी के नमूनों की जांच की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन (NCDRC) में चल रहे इस मामले में कार्यवाही पर तब रोक लगा दी थी, जब नेस्ले ने इसे चुनौती दी थी. उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने 2015 में लगभग तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून के एक प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ एनसीडीआरसी में शिकायत दर्ज कराई थी.
उसी साल भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने नमूनों में लेड का अत्यधिक स्तर पाए जाने के बाद मैगी नूडल्स पर रोक लगा दी थी और इसे इंसानी इस्तेमाल के लिए ‘‘असुरक्षित और खतरनाक'' बताया था.
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