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PM मोदी से CAA-NRC पर हुई बात, किसी को डरने की जरूरत नहीं- ठाकरे

मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पहला मौका है, जब उद्धव ठाकरे दिल्ली आए.

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भारत
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को पीएम मोदी से मिलकर CAA, NRC, NPR पर अपनी भूमिका साफ कर दी है. अब उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना नागरिकता कानून के पक्ष में दिख रही है.

पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा, "प्रधानमंत्री जी से CAA, NRC, NPR पर बात हुई. मैंने अपनी भूमिका स्पष्ट की है. CAA को लेकर किसी को डरने की जरूरत नहीं है. ये किसी को देश से निकालने के लिए कानून नहीं है."

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NRC के बारे में संसद में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसे पूरे भारत में लागू नहीं किया जाएगा. रही बात NPR और जनगणना की, जनगणना तो 10 साल में होती है, उसकी आवश्यकता है. मैनें अपने राज्य के नागरिकों को आश्वस्त किया है कि किसी के भी अधिकार छीनने नहीं दूंगा. 
उद्धव ठाकरे, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र

मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पहला मौका है, जब उद्धव ठाकरे दिल्ली आए. इससे पहले एक कार्यक्रम में महाराष्ट्र पहुंचे पीएम मोदी का स्वागत करने उद्धव ठाकरे खुद एयरपोर्ट पर गए थे.

मुख्यमंत्री बनने के बाद ये पहला मौका है, जब उद्धव ठाकरे दिल्ली आए.
दिल्ली पहुंचे उद्धव ठाकरे, पीएम मोदी से उनके घर पर की मुलाकात
(फोटो: ट्विटर/@PMOIndia)
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलेंगे. इसके बाद उद्धव का बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से भी मिलने का कार्यक्रम है.  

मुलाकात पर गठबंधन में बढ़ सकती है टेंंशन

यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई जब महाविकास आघाड़ी मतलब कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन में कई मुद्दों पर टकराव की स्थिति बनी हुई है. नागरिकता कानून और एनपीआर को लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की अलग-अलग राय है.

जहां उद्धव ठाकरे ने कहा कि CAA, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) अलग-अलग हैं. CAA से किसी को डरने की जरूरत नहीं है. वहीं कांग्रेस ने कहा है कि उनकी पार्टी CAA, NRC और NPR के बिल्‍कुल खिलाफ है.

बता दें, उद्धव ठाकरे के शिवसेना ने बीजेपी से 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़ कर अपने धुर विरोधी शरद यादव की एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन कर लिया था. बीजेपी और शिवसेना ने अक्टूबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन नतीजों के बाद सीएम पद को लेकर दोनों पार्टी में बात नहीं बनी और कई हफ्तों के राजनीतिक ड्रामे के बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली.

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