महाराष्ट्र (Maharashtra) में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार गिर चुकी है. नए सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) शपथ ले चुके हैं. उद्धव सरकार के जाने के साथ-साथ अब उनके लिए फैसलों को बदलने की कवायद शुरू हो गई है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिंदे सरकार ने गुरुवार को सत्ता संभालते ही महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि मेट्रो कार शेड मुंबई की आरे कॉलोनी में ही बनाया जाए. बता दें कि आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड हटाने में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का अहम रोल माना जाता रहा. लेकिन अब सरकार बदलते ही फैसले पलट दिए गए.
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली कैबिनेट बैठक में, देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के मेट्रो कार शेड को आरे मिल्क कॉलोनी से बाहर स्थानांतरित करने के फैसले को पलट दिया और जलयुक्त शिवर अभियान को फिर से शुरू करने का आदेश दिया है.
साथ ही महाधिवक्ता को आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड निर्माण मामले में अपना पक्ष कोर्ट के सामने पेश करने का निर्देश दिया है.
बता दें कि इससे पहले उद्धव ठाकरे सरकार ने मेट्रो कारशेड को आरे कॉलोनी की जगह से बदलकर कांजुरमार्ग कर दिया था. साल 2019 में सीएम का पद संभालने के बाद, ठाकरे ने कोलाबा-बांद्रा-सीपज मेट्रो 3 कॉरिडोर के निर्माण पर रोक लगा दी थी और वैकल्पिक भूखंडों की तलाश के लिए एक समिति नियुक्त की थी. इसके बाद, उनकी सरकार ने आरे कॉलोनी को आरक्षित वन के रूप में नामित किया था.
मुंबई में कई पर्यावरणविदों ने आरे में कार शेड के निर्माण का विरोध किया था, जिसे लेकर कई लोगों पर फडणवीस सरकार में मुकदमा भी दर्ज हुआ था. लेकिन ठाकरे सरकार ने इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज मुकदमों को भी वापस ले लिया था.
अगर मेट्रो कारशेड की बात करें तो कांजुरमार्ग में प्रस्तावित कार डिपो प्लॉट को लेकर महाराष्ट्र सरकार और केंद्र के बीच लड़ाई चली थी, जिससे 33 किलोमीटर की अंडर ग्राउंड मेट्रो परियोजना में देरी हुई.
जलयुक्त शिविर अभियान पर भी टकराव
उद्धव ठाकरे जब सीएम थे, तब उन्होंने जलयुक्त शिविर अभियान पर भी रोक लगा दी थी और योजना में कथित अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी थी. करोड़ों रुपए की drought-proofing scheme, फडणवीस सरकार की अहम परियोजना थी. हालांकि इस प्रोजेक्ट पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में आलोचना की थी.
शरद पवार के खिलाफ इनकम टैक्स नोटिस
महा विकास अघाड़ी सरकार के गिरने के बाद और नई सरकार के बनते ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार को आयकर विभाग का नोटिस भेजा गया है. ये नोटिस चुनावी हलफनामों को लेकर भेजा गया है.
एनसीपी के चीफ प्रवक्ता महेश भारत तपासे ने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र सरकार में बदलाव के तुरंत बाद शरद पवार को 2004, 2009, 2014 और 2020 के चुनावी हलफनामों के लिए आयकर विभाग नोटिस देता है. क्या ये विशुद्ध रूप से संयोग है या कुछ और?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)