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बापू के दांडी मार्च ने हिला दी थी ब्रिटिश साम्राज्य की नींव 

मार्च 1930 में ही बापू ने दांडी मार्च शुरू किया था, जिसने देखते ही देखते एक आंदोलन का रूप ले लिया.

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12 मार्च 1930 को, महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ अहमदाबाद साबरमती आश्रम से अरब सागर किनारे बसे गांव, दांडी के लिए 24 दिन के ऐतिहासिक मार्च का नेतृत्व किया था. ये मार्च केवल 78 सत्याग्रहियों के साथ शुरू हुआ था, जिसमें देखते-देखते ही 50 हजार सत्याग्रही जुड़ गए.

बापू के नेतृत्व में शुरू हुए इस मार्च ने जल्द ही सविनय अवज्ञा आंदोलन का रूप ले लिया और देशभर में 'पूर्ण स्वराज' की मांग उठने लग गई. देशभर में उठी विरोध की आवाजों ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी और आखिरकार उन्हें झुकना ही पड़ा.

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मार्च 1930 में ही बापू ने दांडी मार्च शुरू किया था, जिसने देखते ही देखते एक आंदोलन का रूप ले लिया.
मार्च 1930 में ही बापू ने दांडी मार्च शुरू किया था, जिसने देखते ही देखते एक आंदोलन का रूप ले लिया.
मार्च 1930 में ही बापू ने दांडी मार्च शुरू किया था, जिसने देखते ही देखते एक आंदोलन का रूप ले लिया.
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मार्च 1930 में ही बापू ने दांडी मार्च शुरू किया था, जिसने देखते ही देखते एक आंदोलन का रूप ले लिया.
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मार्च 1930 में ही बापू ने दांडी मार्च शुरू किया था, जिसने देखते ही देखते एक आंदोलन का रूप ले लिया.
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