तृणमूल की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने रविवार को ट्वीट किया कि आगामी मानसून सत्र में फूड ऑडरिंग ऐप्स की ओर से 10 मिनट के अंदर खाने की डिलीवरी करने के वादे का मुद्दा उठाएंगी. सांसद ने कहा है कि 10 मिनट में खाने की डिलीवरी देने का वादा ना केवल डिलीवरी करने वाले व्यक्ति को यातायात नियमों को तोड़ने के लिए मजबूर करती है, बल्कि दूसरों के जीवन को भी जोखिम में डालती है.
उन्होंने आगे कहा कि और कोई भी सभ्य समाज ट्रैफिक नियमों को तोड़ने के लिए डिलीवरी अधिकारियों को कैसे प्रोत्साहित नहीं कर सकता है, जिसे उन्होंने 10 मिनट से कम समय में डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए अपरिहार्य बताया.
कुछ महीने पहले डिलीवरी ऐप शुरू होने के बाद बड़े शहरों में 10 मिनट से कम समय में भोजन और किराने का सामान की डिलीवरी लोकप्रिय हो गई है. इस मुद्दे ने विवादों को जन्म दिया है क्योंकि कई लोगों ने सवाल किया है कि क्या लोगों को 10 मिनट से कम समय में किराने का सामान चाहिए
डिलीवरी प्लेटफॉर्म को करना पड़ा था आलोचना का सामना
आपको बता दें, मार्च में ऑनलाइन फूड डिलीवरी टफॉर्म Zomato को उसकी 10 मिनट की डिलीवरी सर्विस को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा था कि कंपनी का यह फैसला डिलीवरी पार्टनर्स को एक कठिन और असुरक्षित कामकाजी माहौल में धकेल देगा.
इस मामले पर सफाई देते हुए जोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल ने ट्वीट किया था कि 10 मिनट की डिलीवरी सेवा "केवल विशिष्ट, आस-पास के स्थानों और लोकप्रिय चीजों के लिए होगी." गोयल ने कहा था, " ज़ोमैटो डिलीवरी पार्टनर्स को देर से डिलीवरी के लिए कोई सजा नहीं मिलेगी. वहीं, 10 और 30 मिनट की डिलीवरी के लिए समय पर पहुंचने पर कोई अवार्ड भी नहीं मिलेगा."
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