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मालेगांव केस में प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर स्पेशल कोर्ट ने जारी किया वारंट, क्या है पूरा मामला?

पिछले महीने स्पेशल कोर्ट ने आदेश दिया था कि मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपियों को अदालत में उपस्थित रहना होगा.

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भारत
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भोपाल से बीजेपी सांसद और 2008 के मालेगांव विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ मुंबई की एक विशेष अदालत ने 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी किया है.

अदालत ने सुनवाई में पेश न होने की वजह से बीजेपी नेता के खिलाफ वारंट जारी किया है. विशेष अदालत ने सोमवार को प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य लोगों को सुनवाई के दौरान अदालत में बयान दर्ज कराने का आदेश दिया था लेकिन वे सुनवाई में शामिल नहीं हुईं.

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प्रज्ञा सिंह ठाकुर के वकीलों ने उनकी खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए राहत मांगी लेकिन स्पेशल जज ने राहत देने से इनकार कर दिया और प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ 10 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी कर दिया.

पहले भी अदालत में सुनवाई में शामिल नहीं हो रहे थे आरोपी

पिछले महीने स्पेशल कोर्ट ने आदेश दिया था कि मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपियों को अदालत में उपस्थित रहना होगा.

अदालत ने कहा,

"ऐसा देखा गया है कि प्रज्ञा ठाकुर और बाकी के कुछ आरोपी तय तारीखों पर अदालत में मौजूद नहीं होते हैं. सुनवाई में शामिल होने की वजह को लेकर कोर्ट उन्हें आए दिन छूट भी देती रही है. ये भी देखा गया है कि कुछ आरोपी दूसरे राज्यों में रहते हैं और वे शिकायत करते हैं कि आखिरी वक्त में ट्रेन के टिकट मिलने में परेशानी होती है इसलिए हम इन समस्याओं को देखते हुए सभी आरोपियों को एडवांस में तारीख दे देते हैं."

क्या है मालेगांव ब्लास्ट मामला?

29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे के वक्त महाराष्ट्र के मालेगांव टाउन में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीचोबीच एक जोरदार बम धमाका हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 101 लोग घायल हुए थे.

इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने की थी लेकिन बाद में इसे NIA को सौंप दिया गया. जांच के दौरान शुरुआत में 14 अभियुक्तों का नाम सामने आया. इसमें प्रज्ञा ठाकुर सिंह का नाम भी शामिल था. उन पर मकोका के तहत (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून) केस चलाया गया. प्रज्ञा पर आरोप था कि बम ब्लास्ट में जिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल हुआ था वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड थी.

NIA ने 2016 में दाखिल अपनी चार्जशीट में प्रज्ञा सिंह ठाकुर को दोषमुक्त बताया था लेकिन NIA कोर्ट ने भले ही उन्हें जमानत दे दी थी लेकिन उन्हें बरी नहीं किया.

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