मनाली के सोलंगनाला (Solang Nala Bridge Collapse) में निर्माणाधीन पुल शटरिंग हटाते ही गिर गया. काम में लगे शटरिंग उतार रहे 7 से 8 मजदूरों को पुल के गिरने का आभास हो गया, जिससे वे पहले ही पीछे हट गए और बाल-बाल बच गए. पुल गिरने से एक बार फिर विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए हैं.
बताया जा रहा है कि PWD विभाग ने पुराने ठेकेदार को समान समेटने के आदेश दिए थे और जब यह पुल गिरा तो मजदूर शटरिंग निकाल रहे थे. पुल गिरने से इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है. घटिया सामग्री इस्तेमाल करने के आरोप लग रहे हैं.
2015 से चल रहा था पुल का काम, पहले ही गुणवत्ता पर उठ चुके हैं सवाल
पुल का काम साल 2015 से चल रहा था. जो 6 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ और अब जब पुल तैयार होने वाला था तो घटिया निर्माण सामग्री प्रयोग होने के चलते गिर गया. इससे पहले भी सोलंग निवासियों ने पुल निर्माण में प्रयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे. विभाग की जांच में भी कमी पाई गई थी जिसके बाद विभाग ने ठेकेदार का टेंडर रद्द कर दूसरे ठेकेदार को काम सौंपा था.
विवादों में रहा पुल
ढह चुका यह पुल इससे पहले कई बार विवादों में रह चुका है. 2015 के बाद से धीमी गति से चले रहे काम का ग्रामीणों ने कई बार विरोध जताया. ग्रामीणों ने खूब हल्ला कर इसके लिए सरकार और विभाग को चेताया था और एक बार तो मजबूर होकर लोकसभा चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया था.
पुलिया बहने पर बवाल, PWD के अधिकारी को पहनाई थी जूतों की माला
पुल का विवाद यही नहीं थमा, हद तो तब हो गई थी जब पुल निर्माण में देरी और एक अनहोनी के चलते गुस्साए लोगों ने PWD के अधिकारी को जूतों की माला पहना दी थी. दरअसल अगस्त 2022 में पुल के साथ बनाई गई अस्थाई पुलिया पानी के साथ बह गई थी और पुलिया से गुजर रहे दो बच्चे बह गए थे. इसके बाद लोगों ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारी को जूतों की माला तक पहना दी थी.
कई गांवों की सुविधा वाले पुल का चुनाव में खूब गरमाया था मुद्दा
सोलंग समेत आस-पास के नौ गावों को प्रभावित करने वाले इस पुल का मुद्दा विधानसभा चुनाव में खूब गर्माया था. बीजेपी प्रत्याशी से बागी हुए उम्मीदवार मोहिंद्र सिंह ने वोट मांगने के दौरान गांव-गांव जाकर इस पुल को लेकर खूब कोसा था.
करीब तीन करोड़ रुपये होने हैं खर्च
विधायक प्राथमिकता में डाले गए अधूरे सोलंग पुल के निर्माण पर करीब 2.91 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है. लेकिन, 2015 से अब तक काम कछुए की चाल से चला है. सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई कठोर कदम ना उठाए जाने के चलते लोग जान जोखिम में डालकर झूले पुल के जरिए ब्यास नदी को पार करते हैं. हालांकि इस गांव के लिए सड़क तो बन रही है, लेकिन पुल नहीं बन रहा है.
क्या बोले अधिकारी ?
पुल गिरने के बाद विभाग के अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंच गए हैं. मामले पर PWD के XEN अनूप शर्मा का कहना है कि शटरिंग हटाते ही पुल गिर गया है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार के टेंडर रद्द कर अपना सामान समेटने के आदेश दिए गए हैं. पिलर यही रहेंगे, लेकिन पुल निर्माण नए सिरे से होगा और अगले साल तक यह पुल तैयार हो जाएगा. पुल का कॉन्ट्रेक्ट वेलकम इंडिया पंजाब कांट्रेक्टर के पास था.
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