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मणिपुर हिंसा में पैरालाइज हुए बीजेपी MLA के परिवार ने कहा, 'विदेशी कहलाना दुखद'

Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की

Published
भारत
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"मेरे पिता की हालत में हर दिन सुधार हो रहा है, लेकिन यह सुधार बहुत धीमी है क्योंकि उन्हें जो चोटें आई हैं वे बहुत बड़ी हैं." यह कहना है मणिपुर (Manipur violence) के बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे के 29 वर्षीय बेटे जोसेफ वाल्टे का. विधायक वुंगजागिन वाल्टे (BJP MLA Vungzagin Valte) पर 5 मई को इंफाल में भीड़ ने बेरहमी से हमला किया था.

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कुकी समुदाय से आने वाले वुंगजागिन वाल्टे फ़िरज़ॉल जिले के थानलॉन निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. उनपर उस समय हमला किया गया जब वह मुख्यमंत्री सचिवालय से लौट रहे थे. वे राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने के बाद अपने आधिकारिक आवास की ओर जा रहे थे.

गंभीर रूप से घायल वुंगजागिन वाल्टे को 5 मई को हवाई मार्ग से दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ले जाया गया. हमले के दौरान बिजली का झटका देने की वजह से वे पैरालाइज्ड हो गए थे.

उनके बेटे जोसेफ वाल्टे ने द क्विंट को बताया कि दो महीने बाद भी वह अभी भी दिल्ली में हैं. डॉक्टर अब फिजियोथेरेपी और हर सप्ताह नियमित मेडिकल चेक-अप के साथ घर पर ही आगे के स्वास्थ्य लाभ की सलाह दे रहे हैं.
Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की
Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की
Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की
Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की
Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की
Manipur violence: द क्विंट से जोसेफ वाल्टे ने अपने पिता वुंगजागिन वाल्टे की रिकवरी के बारे में बात की
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'BJP के शीर्ष नेताओं के मिलने नहीं आने से निराश नहीं हूं'

जोसेफ ने कहा, "मेरे पिता के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने अस्पताल का दौरा किया. यहां तक ​​कि मणिपुर बीजेपी के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री ने भी मणिपुर और मिजोरम के कुछ सांसदों के साथ दौरा किया."

हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री सहित बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की अनुपस्थिति से उन्हें निराशा नहीं हुई.

"मैं समझता हूं कि वे लोकसभा में व्यस्त हैं, लेकिन मेरी एकमात्र आशा यह है कि वे दृढ़ता से हस्तक्षेप करेंगे और निकट भविष्य में मणिपुर मुद्दे को संबोधित करेंगे. अपने मैतेई पड़ोसियों के बगल में रहना मुश्किल है क्योंकि उन्होंने हमें इंफाल से बाहर निकाल दिया है. उन्होंने जानवरों की तरह हमारा शिकार किया है, और इसलिए, एक साथ रहना कठिन है. मुझे उम्मीद है कि इस संकट से निपटने वाले सभी सरकारी अधिकारियों द्वारा एक त्वरित समाधान निकाला जाएगा.''
जोसेफ वाल्टे, बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे के बेटे

हालांकि, जो बात जोसेफ को वास्तव में निराश करती है, वह यह है कि उनके पिता वर्तमान राज्य सरकार में और कुकी-जोमी जनजातियों के बीच महत्वपूर्ण कद वाले सबसे वरिष्ठ विधायक होने हैं और इसके बावजूद, राज्य की राजधानी की सड़कों पर उनपर इतना क्रूर हमला हो सकता है.

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'हम अपने झंडे, राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं'

कुकियों को "विदेशी" और "अवैध अप्रवासी" कहने के बेबुनियाद बातों पर प्रतिक्रिया देते हुए, जोसेफ ने तर्क दिया कि मणिपुर में तीन बड़े समुदायों - मैतेई, नागा और कुकी-ज़ोमी - के बीच उनका समुदाय ही एकमात्र ऐसा समुदाय था जिसने भारत से "कभी भी स्वतंत्रता की मांग नहीं की".

"कुकी-ज़ोमी जनजातियों ने बस इतना कहा कि वे अभी भी भारत में रहेंगे लेकिन मणिपुर से अलग प्रशासन की मांग करेंगे. हम अपने राष्ट्रीय ध्वज और गान का सम्मान करते हैं."
जोसेफ वाल्टे, बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे के बेटे

जोसेफ ने आगे कहा, "मैं इंफाल में पैदा हुआ था. इसलिए, जब कोई कुकी-ज़ोमी समुदाय को 'विदेशी' कहता है, तो मुझे वास्तव में दुख होता है."

'ड्राइवर को बचाया नहीं जा सका'

वुंगज़ागिन वाल्टे पर हिंसक भीड़ के हमले के संबंध में एक कहानी उनके ड्राइवर थांगहौलाल की है, जिसे कम ही लोग जानते हैं. उनकी मौके पर ही हत्या कर दी गई थी. द क्विंट ने चुराचांदपुर में थांगहौलाल की पत्नी चिंगनेइहमोई ज़ोउ से मुलाकात की थी, लेकिन पता चला कि वह अभी भी अपने मृत पति के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रही थीं.

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जोसेफ ने अफसोस के साथ बताया, "हम उन्हें (थांगहौलाल के परिवार को) अपना खून मानते हैं. कल मेरे चाचा, बहन और परिवार के अन्य सदस्य मेरे पिता के ड्राइवर के घर गए. हमले के दिन, हमने उन्हें अपने पिता के साथ दिल्ली लाने के बारे में सोचा था. लेकिन डॉक्टरों ने कहा था कि सिर और दिमाग की गंभीर चोट के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका."

अंत में, जब मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया कवरेज के बारे में पूछा गया, तो जोसेफ ने जोर देकर कहा कि यदि मीडिया कवरेज मौजूद नहीं होता, तो कुकी समुदाय और उनका दर्द महत्वहीन बना रहता.

जोसेफ ने आखिर में कहा, “मीडिया के कारण ही, खासकर आपके जैसी मीडिया के कारण, दुनिया भर के लोगों को हमारे राज्य में हिंसा के बारे में पता चला. हम अपने मुद्दों को सबके सामने लाने के लिए मीडिया इंडस्ट्री के लगातार प्रयासों के लिए बहुत आभारी हैं. इसके अलावा, मिजोरम में हमारे भाइयों ने भी मदद की पेशकश की है, और मुझे केरल से भी मदद की पेशकश आई है. राज्यों के बीच एकता बहुत महत्वपूर्ण हो गई है."

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