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मनमोहन सिंह ने कहा, ‘मेरे PM बनने पर प्रणब दा की नाराजगी जायज थी’

डॉ. मनमोहन ने कहा- मेरा राजनेता बनना महज एक इत्तेफाक था.

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भारत
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पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने केंद्र में 2004 से 2014 तक लगातार दो बार यूपीए गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस चीफ ने उन्हें पीएम पद के लिए चुना तो उस वक्त प्रणब मुखर्जी नाराज हो गए थे.

पूर्व पीएम ने यूपीए के दो शासनों का नेतृत्व उन्हें सौंपे जाने और उस दौरान प्रणब मुखर्जी की स्थिति को लेकर खुलकर बात की. सिंह तीन मूर्ति सभागार में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की द कोलिशन इयर्स बुक लॉन्च के मौके पर बोल रहे थे.

पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘मेरा राजनेता बनना महज एक इत्तेफाक था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने साल 2004 में मुझे पीएम पद के लिए चुना, ये चौंकाने वाला था.’
डॉ. मनमोहन ने कहा- मेरा राजनेता बनना महज एक इत्तेफाक था.
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उनकी इस टिप्पणी पर न सिर्फ मुखर्जी बल्कि मंच पर बैठे सभी नेता हंसी में डूब गये. इस बुक लाॅन्च मौके पर मुखर्जी, मनमोहन के साथ-साथ माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा नेता सुधाकर रेड्डी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, द्रमुक नेता कानिमोई मंच पर मौजूद थे.

सिंह ने कहा कि इससे उनके और मुखर्जी के संबंध बेहतरीन हो गये और सरकार को एक टीम की तरह चलाया जा सका. जिस तरह से उन्होंने भारतीय राजनीति के संचालन में महान योगदान दिया है, वो इतिहास में दर्ज होगा.

सिंह ने मुखर्जी को बताया कुशल नेता

मनमोहन ने मुखर्जी के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा कि वो 1970 के दशक से ही उनके साथ काम कर रहे हैं. डा. सिंह ने कहा कि वो दुर्घटनावश राजनीति में आये, जबकि मुखर्जी एक कुशल और मंझे हुए राजनीतिक नेता हैं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रहने के दौरान सरकार को जब भी किसी जटिल मुद्दे का हल निकालना होता था तो मंत्री समूह का गठन किया जाता था और अधिकतर जीओएम की अध्यक्षता उस समय मुखर्जी ही कर रहे होते थे.

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‘मुझे उम्मीद थी कि सोनिया के इंकार करने के बाद अगली पसंद मैं ही रहूंगा’

मनमोहन की ये टिप्पणी इसलिए महत्व रखती है क्योंकि प्रणब मुखर्जी ने अपनी बुक में कहा है, ‘बहुत उम्मीद थी कि सोनिया गांधी के मना करने के बाद प्रधानमंत्री के लिए मैं ही अगली पंसद रहूंगा. ये उम्मीद शायद इसलिए थी क्योंकि सरकार में मेरे पास अच्छा अनुभव था.’

मुखर्जी ने ये भी कहा कि जब उन्होंने मनमोहन सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया, तो सोनिया ने सरकार में शामिल होने पर जोर दिया क्योंकि ये सरकार के कामकाज के लिए जरूरी था. साथ ही इससे सिंह को भी मदद मिलती.

प्रणब ने कहा कि कांग्रेस खुद में एक गठबंधन है क्योंकि ये सभी विचारों को एक मंच पर लाती है. उन्होंने कहा, भीतर के साथ-साथ बाहर गठबंधन होना कठिन है. लेकिन ये किया गया. उनके अनुसार उन्होंने बुक में गठबंधन सालों का जिक्र किया है और किसी निजी मामले को शामिल नहीं किया है.

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